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तीन तलाक अमान्य

उच्चतम न्यायालय ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि मुस्लिमों में एक बार में तीन बार तलाक बोलकर दिए जाने वाले तलाक की प्रथा ‘अमान्य’, ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ है। शीर्ष अदालत ने 3:2 के मत से सुनाए गए फैसले में इस तीन तलाक को कुरान के मूल तत्व के खिलाफ बताया। पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने अपने 395 पन्नों के आदेश में कहा, ‘‘3:2 के बहुमत के जरिए दर्ज किए गए विभिन्न मतों को देखते हुए ‘तलाक-ए-बिद्दत’ तीन तलाक को दरकिनार किया जाता है।’’
प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर जहां तीन तलाक की प्रथा पर छह माह के लिए रोक लगाकर सरकार को इस संबंध में नया कानून लेकर आने के लिए कहने के पक्ष में थे, वहीं जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस यूयू ललित ने इस प्रथा को संविधान का उल्लंघन करार दिया। बहुमत वाले इस फैसले में कहा गया कि तीन तलाक समेत हर वो प्रथा अस्वीकार्य है, जो कुरान के मूल तत्व के खिलाफ है। तीन न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि तीन तलाक के जरिए तलाक देने की प्रथा स्पष्ट तौर पर स्वेच्छाचारी है। यह संविधान का उल्लंघन है और इसे हटाया जाना चाहिए।

 

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