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Gaya का विष्णु मंदिर

नई दिल्ली। पितृ या पितर, साल के वे 15 दिन जब लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के पूजन इत्यादि कर्म करते हैं। यहां हम आपको एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जो पूरे देश में ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है। यहां आमतौर पर तो लोग पितृ पक्ष के दौरान पहुंचते हैं, लेकिन आम दिनों में भी भक्तों को यहां देखा जा सकता है। जैसा कि पुराणों में वर्णित है कि सृष्टि के पालन कर्ता भगवान श्रीविष्णु का निवास धरती में जगह-जगह है। उन्हीं में से एक जगह है गयाजी, जो कि बिहार राज्य में स्थित है। यहां पर ही बना है यह अद्भुत और अनोखा भगवान विष्णु का मंदिर।

Gaya का यह मंदिर

कहा जाता है कि Gaya गया का यह मंदिर भगवान विष्णु के पदचिह्नों पर ही बना है जो कि यहां देखने को भी मिलते हैं। इसी वजह से इसे विष्णुपाद मंदिर कहा जाता है। फल्गु नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित यह मंदिर पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।

40 सेमी लंबे पैर

यह मंदिर 30 मीटर ऊंचा है जिसमें 8 पिलर्स हैं। इन पिलर्स पर चांदी की परतें चढ़ाई हुई हैं। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु के पैरों के निशान हैं जो कि लगभग 40 सेमी लंबे बताए जाते हैं। ये देखने पर ही अति दिव्य दिखाई देते हैं। इस मंदिर का 1787 में इंदौर की महारानी अहिल्या बाई ने नवीकरण करवाया था। जिसके बाद से इसकी भव्यता और बढ़ गई।

पुण्यलोक को प्राप्त करते हैं पूर्वज

पितृपक्ष के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है। इसे धर्मशिला के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि पितरों के तर्पण के पश्चात इस मंदिर में भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन करने से समस्त दुखों का नाश होता है एवं पूर्वज पुण्यलोक को प्राप्त करते हैं। विष्णुपाद मंदिर में बने चरणों की अंगुलियां उत्तर की ओर हैं और मंदिर तकरीबन 100 फीट का है।

 

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