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मोदी सरकार में भी अधूरा रहा अटल का सपना

वाराणसी। पीएम नरेन्द्र मोदी की चार साल की सरकार में भी पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का सपना पूरा नहीं हो पाया। गुरुवार की शाम पांच बजे पूर्व पीएम का निधन हो गया। पूर्व पीएम के इस बड़े प्रोजेक्ट पर काम तो चल रहा है लेकिन परिणाम सामने नहीं आया है।

केन्द्र सरकार की लोकसभा चुनाव

केन्द्र सरकार की लोकसभा चुनाव 2019 के पहले बड़े स्तर पर यह योजना पूर्ण होती नहीं दिख रही है।
अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते हुए देश की सभी नदियों को जोडऩे का सपना देखा था। अटल बिहारी वाजपेयी का मानना था कि सभी नदी आपस में जुड़ जायेगी तो मानसून का पानी बर्बाद नहीं होगा। बाढ़ का पानी दूसरी नदी में जायेगा तो नुकसान नहीं होगा। इसी सोच के साथ नदियों को जोडऩे की योजना शुरू की गयी थी लेकिन बीजेपी की सरकार जाते ही इस योजना पर ग्रहण लग गया था। वर्ष २०१४ में पीएम नरेन्द्र मोदी की सरकार आते ही इस योजना को आगे बढ़ाया गया है लेकिन अधिक सफलता नहीं मिली है।

जोडऩे का प्रोजेक्ट

नदियों को जोडऩे का प्रोजेक्ट बहुत बड़ा है इसे पूरा करने में समय लगेगा। साउथ में कुछ नदियों को जोड़ा गया है। इस योजना को लेकर पर्यावरण विशेषज्ञ आपत्ति जता रहे हैं। उनका मानना है कि सभी नदियों का जल एक समान नहीं होता है इसलिए नदियों को आपस में जोडऩे से जलीय जीवन पर खतर पैदा हो सकता है। फिलहाल योजना जारी है। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की चतुभूर्ज सड़क योजना व सर्व शिक्षा अधिकार योजना आज भी देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया था जिसके चलते देश की आर्थिक विकास दर में वृद्धि बनी हुई है।

बनारस से  गहरा नाता

पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न से सम्मानित अटल जी का बनारस से बहुत ही गहरा नाता रहा है। वाजपेयी जी ने युवा अवस्‍था में अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत वाराणसी से ही की थी। उन्‍होंने पहली बार बनारस में रैली के दौरान चेतगंज के हबीबपुरा में रहने का जिक्र भी किया था।
1942 में वाराणसी में ‘समाचार’ नामक अखबार का प्रकाशन हुआ था । आधे पैसे की कीमत वाले उस अखबार में तब अटल बिहारी वाजपेयी उस अखबार में अपना आलेख लिखा करते थे । बाद में अटल बिहारी बाजपेयी पांचजन्य के संपादक भी रहे। अटल बिहारी वाजपेयी उस समय अक्सर वाराणसी कवि गोष्ठियों में शामिल भी होते थे और उन कवि सम्मेलनों में अपनी कविताओं का पाठ किया करते थे।

अतुल मोहन
अतुल मोहन

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