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बाढ़ ग्रस्त गांवों में मनकामेश्वर मठ के दल ने बांटी राहत सामग्री

लखनऊ । मनकामेश्वर मठ-मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरि की अगुआई में बाढ़ राहत दल शनिवार की सुबह डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मठ मंदिर से रवाना हुआ। इसे मठ मंदिर की कल्याणी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना। शंखनाद के और जय भोले के जयघोष के साथ वाहनों का काफिला बाराबंकी के बाढ़ ग्रस्त गांवों में रवाना हुआ। राहत सामग्री में चटाई, बिस्कुट, छाता, टार्च संग सेनेटरी नैपकिन को भी शामिल किया गया था। इस दल में अजय चौरसिया, मातेश्वरी चौरसिया, संतोष पाटिल, उपमा पाण्डेय, मनीष सिंह, राम अवतार, राजकुमार, विक्की, नीरज, सागर, सहित कई सेवादार शामिल हुए।
श्रीमहंत देव्यागिरि ने शनिवार को मुख्य रूप से मिश्रीपुरवा, गाय घाट, चौधरी पुरवा, माधव पुरवा, बल्लोपुर, तिवारी पुरवा, सुमिरन पुरवा, राम बली पुरवा, पर्वतपुर, गड़ियन पुरवा, बंगरही बाढ़ग्रस्त गांवों का सघन दौरा कर वहां की परेशानियों को जाना और बाढ़गस्त ग्रामीणों को जीवन रक्षक सामग्रियां वितरित की। सुमिरन पुरवा निवासी राधे श्याम ने श्रीमहंत देव्यागिरि को बताया कि 4 अगस्त से बाराबंकी के दर्जनों गांव जलमग्न हैं। इसके चलते पांच हजार से अधिक ग्रामीणों को दो वक्त की रोटी और स्वास्थ्य की परेशानियों से रूबरू होना पड़ रहा है। रामलखन ने बताया कि हर साल उन्हें बाढ़ से जूझना पड़ता है। पर्वतपुर के रूपलाल ने सरकार से मांग की कि बाढ़ से हर साल जानमाल की हानि होती है और प्रदेश के विकास का कार्य ठप हो जाता है ऐसे में बाढ़ रोकने के स्थायी इंतजाम किये जाने चाहिए। उन्होंने बताया कि गांव में चार अगस्त को जो बिजली की सप्लाई ठप हो गई थी वह शनिवार 26 अगस्त को जाकर दुरुस्त हुई। बबुरिहा निवासी चेतराम ने बताया कि शासन की ओर से 21 अगस्त को राशन बांटा गया था। उसी दिन चिकित्सा कैंप भी लगा था। उसके बाद इन सुविधाओं को जारी नहीं रखा गया। उन्होंने बताया कि न तो आवश्यकता के अनुरूप राहत शिविर तैयार करवाए गए हैं और न ही सौ से अधिक लापता पशुओं की तलाश ही की जा रही है। महंत देव्यागिरि ने सभी पीड़ितों की परेशानियों को ध्यान से सुना और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

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