रायबरेली। रविवार को बैसवारा शोध संस्थान में आयोजित अखिल भारतीय नवगीत सम्मेलन को मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष Hriday Narayanहृदय नारायण दीक्षित ने संबोधित किया। उन्होने कहा कि कवियों में अस्तित्व व उसके प्रतिरूपों के प्रति प्यार होता है। कविता अस्तित्व की पुत्री है। फूल, नदी, पर्वत आदि से प्यार की अभिव्यक्ति व कवि की संवेदना को झंकृत करती है। वही शब्द होंठों पर आते ही कविता को जन्म देते हैं।
Hriday Narayan ने
Hriday Narayan हृदय नारायण दीक्षित ने ऋग्वेद से कविता के उदय की विस्तृत व्याख्या करते हुए कहा कि हमारे भीतर पांच महाभूत क्षिति, जल पावक गगन समीरा, की अनुभूत होते है तो कविता जाग्रत होती है। उन्होने कहा कि कविता कभी धर्म का भाग नहीं बनी और न ही धर्मसत्ता का। ऋग्वेद में कविता के घनत्व को अधिक गाढ़ा बताते हुए कहा कि ऋग्वेदकाल से लेकर अब तक कवि भारत बोध को अपना विषय बना रहे हैं। भले की वह अपनी कविता को स्वंय पढ़ते हो लोग न पढ़ते हों। जनप्रतिनिधियां एवं प्रभावी लोगों को उनकी मदद करनी चाहिए। श्री दीक्षित ने नवगीतकारों से अनुरोध किया कि कविता को सम्प्रेषणीय बनावें।
साहित्यकार भारतेंन्द्र मिश्र ने कहा कि नवगीत की परिभाषा निराला ने दी। निराला ने नवगीत की अन्तःचेतना को प्रवाहित किया था। उन्होने कहा कि भारत में पहले छंदस्य परम्परा की कविता था वह आज नवगीत का रूप लेती जा रही है। उन्होने नवगीत के तीसरे दौर के चल रहे लेखन कार्य की तारीफ की और कहा कि वर्तमान में दुनिया के किसी भी कोने में रह कर हिन्दी पढ़ने वाला व्यक्ति नवगीत पढ़ता है।
कार्यक्रम के संयोजक
कार्यक्रम के संयोजक एवं शोध संस्थान के संस्थापक डा ओमप्रकाश सिंह ने कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत करते हुए कहा नयी कविता समाज की पीड़ा, आक्रोश, विसंगतियां, चिन्तन बाजारवाद, अपसंस्कृति आदि को व्यक्त करती है। नवगीत के बारे में भ्रांतियां आती हैं उनका समाधान तलाशना है। कार्यक्रम में पूर्व विधायक सुरेन्द्र बहादुर सिंह ने शोध संस्थान को एक लाख रूपये आर्थिक मदद की घोषणा की।
सम्मेलन में एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह व बैसवारा विकास समिति के अध्यक्ष मुकेश सिंह चौहान ने भी अपने विचार व्यक्त किये। सम्मेलन में साहित्यकार मधुकार आस्थाना, राजा अवस्थी, विजय बागाही, जगदीश श्रीवास्तव, बृजनाथ श्रीवास्तव, शीलेन्द्र चौहान, शिवनंदन सिंह, जयचक्रवर्ती, डा संतलाल, अशोक गौतम, गणेश नारायण शुक्ला, बीएन विश्वकर्मा, रामप्रतापसिंह, रवीन्द्र कुमार सिंह, डा निरंजन राय, अवनेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र सिंह, आशीष सिंह, विश्श्वास बहादुरसिंह, सुरेश आचार्य, वासुदेव , पदमिनी सिंह आदि उपस्थित रहे।