कोई भी अर्थव्यवस्था अन्ततः बाजार तत्वों पर ही कुशलतापूर्वक चल सकती है बाजार में मांग एवं आपूर्ति ही स्थायी एवं सर्वजन हिताय सन्तुलन स्थापित करते हैं। सरकारी नियंत्रण में कमी एवं उदारीकरण के दौर में यह उचित नहीं कि सरकार निजी क्षेत्र में खरीद बिक्री एवं उसकी कीमत निर्धारण के ...
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