
आतंक का जवाब (Answer To Terrorism) क्या सिर्फ़ संयम और शांति की अपीलों से दिया जा सकता है? क्या हर बार जब देश पर हमला हो, तो उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शिकायत कर संतोष करना चाहिए? भारत (India) ने इस बार इस परंपरागत सोच को एक नई दिशा दी है—साफ, सटीक और निर्णायक। “ऑपरेशन सिंदूर” (Operation Sindoor) इसी बदली हुई नीति का नाम है, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प का ऐलान है।
एक अमानवीय हमले का उत्तर
पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष भारतीयों की जान गई। इनमें अनेक वे महिलाएं थीं जिनकी मांग का सिंदूर उनके सामने ही मिटा दिया गया। यह सिर्फ़ एक आतंकी हमला नहीं था, यह भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक अस्मिता पर चोट थी। और इसलिए, इसका उत्तर केवल गोली से नहीं, प्रतीकों के स्तर पर भी दिया गया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम केवल एक सैन्य कार्रवाई का कोड नहीं है, यह उस सांस्कृतिक प्रतिकार की प्रतीकात्मक घोषणा है जो दर्शाता है कि भारत अब न केवल पीड़ितों की आवाज़ है, बल्कि न्याय का परचम भी है।
प्रतिशोध नहीं, रणनीति
यह कार्रवाई बदले की भावना में नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की नई समझदारी में की गई थी। भारतीय खुफिया एजेंसी RAW ने मोसाद जैसी कार्यकुशलता दिखाई, और आतंकियों के ठिकानों की सटीक जानकारी सशस्त्र बलों को दी। विशेष बात यह रही कि यह सब शहरी और घने आबादी वाले इलाकों में हुआ—बिना किसी नागरिक क्षति के। यह भारत की सैन्य-तकनीक, खुफिया नेटवर्क और ज़मीन पर परिचालन क्षमता का संयोजन था।
महिलाओं की भूमिका—संदेश से बढ़कर प्रतीक
इस अभियान की सफलता की घोषणा दो महिला सैन्य अधिकारियों ने की। यह एक असाधारण दृश्य था—न केवल इसलिए कि यह महिलाओं के बढ़ते प्रतिनिधित्व का प्रतीक था, बल्कि इसलिए भी कि जिन पर हमला हुआ, वही अब जवाब देने की भूमिका में थीं। यह दृश्य दुश्मनों के लिए चेतावनी और देशवासियों के लिए गर्व का क्षण था।
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भारत की नई सीमा रेखा
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह हर आतंकी हमले को एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने से पहले, एक ठोस कार्रवाई का विषय बनाएगा। यह ‘लक्ष्मण रेखा’ खींच दी गई है—जिसे पार करने का अर्थ है निश्चित विनाश। चाहे वह आतंकवादी संगठन हों या उन्हें संरक्षण देने वाले राष्ट्र, भारत अब उन्हें उन्हीं की भाषा में उत्तर देने को तैयार है।
यह शुरुआत भर है
भारत की इस नीति परिवर्तन को एक बार की प्रतिक्रिया न माना जाए। यह एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण है, जिसमें हर हमले का उत्तर पहले से अधिक तीव्र, सटीक और निर्णायक होगा।
अतः ‘ऑपरेशन सिंदूर’ केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि उस राष्ट्र-चेतना का पुनर्जागरण है, जो वर्षों से न्याय की प्रतीक्षा में थी।अब भारत न केवल सहता है, बल्कि संकल्प के साथ प्रत्युत्तर भी देता है। और यही है नया भारत।