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…हासिल तख्तोताज नही होते

बिना मेहनत के हासिल तख्तोताज नही होते ,
जुगनू कभी रोशनी के मोहताज नही होते !
यह पंक्तियां कवि, लेखक और चित्रकार संजय कुमार गिरी के लिए बिल्कुल उपयुक्त है,जिनको आज हर कोई जानता है।
इनका जन्म भारत की राजधानी दिल्ली में 27 जून 1975 को करतार नगर में हुआ, था । इन्होंने तकनीकी शिक्षा–पेंटर में आई टी आई विवेक विहार दिल्ली से की है। इनकी जननी सुशीला देवी एक कुशल गृहणी एवं आपके पिता धनुषधारी गिरी जी एक छोटे से फार्म में कार्यरत होकर भी बड़ी तंगी के दिनो में भी अपने चारो बच्चों का गुजारा बहुत ही मुश्किलना हालत में भी रह कर दील्ली के .पी.जी .डी.ऐ. वी .(संध्य) कॉलेज ,दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक तक पढ़ाया लिखाया एक संस्कारी परवरिश दी ।

जिस उम्र में बच्चे खेलने ,खाने ,मौज ..मस्ती और शैतानिया करते है उस उम्र यानी बचपन से ही आपने चित्रकारी को अपना शौक बना लिया और महज 10वर्ष की उम्र तक पहूँचते पहुचते आपकी चित्रकारी की प्रतिभा इतनी निखर गई की लोग आपकी पेंसिल स्केच को देख कर भवचक्के खा जाते । सिर्फ चित्रकारी ही नही माता सरस्वती कीआप पर ऐसी असीम कृपा है की जिस कारण आप बहुमुखिया प्रतिभा के धनी है । आप एक सशक्त कवि एवं जागृत पत्रकार भी है आपने दिल्ली और उसके आस-पास के कई बड़े मंचों से काव्य पाठ भी किया एवं आपकि सर्वप्रथम स्वरचित कविता के लिए मद्ये- निषेध निदेशालय दिल्ली सरकार द्वारा वर्ष 1996 -97 में आयोजित गीत ,कविता प्रतियोगिता में दिल्ली के मुख्य मंत्री स्वर्गीय श्री साहिब सिंह वर्मा द्वारा प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था !

स्वतंत्र लेखन में रुचि रखने वाले संजय कुमार गिरि जी के द्वारा रचित रचनाओं में गद्द्य एवं पद्य ,(लघु कहानी ,कविता ,गजल,गीतिका ,मुक्तक, दोहे आदि )समय समय पर देश के कई समाचार पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं जिनमे वूमेन एक्सप्रेस ,विजय न्यूज समाचार पत्र .एवं ट्रू मीडिया ,समर सलिल हिंदी पत्रिका प्रमुख रूप से हैं ,साथ ही आपके बनाये सुंदर एवं सजीव चित्र खुद ब खुद आप से बात करते उनकी कला का परिचय देते है । आपने देश के कई बड़े साहित्यकारों और कवियों के चित्र बनाकर के उन्हें साहित्यिक जलसों में भेंट भी किये हैं जिनमें देश के जाने माने उस्ताद शायर मंगल नसीम ,उस्ताद शायर राजेन्द्र नाथ रहबर ,लक्ष्मी शंकर वाजपयी ,रामकिशोर उपाध्याय जी ,सुरेश पाल वर्मा ,त्रिभुवन कौल , ,ओम प्रकाश शुक्ल ,अशोक चक्रधर ,प्रो सरन घई ,डॉ विष्णु सक्सेना ,जगदीश मीणा ,पूजा गुप्ता नेपाल ,,नरेश जोशी जी डॉ प्रज्ञा खुशी आदि प्रमुख रूप से हैं ।आपकी खुशनुमा अभिव्यक्ति और सरल स्वभाव के कारण अपने तो अपने आप गैरों को भी बहुत जल्द अपना बना लेते है । आप पत्नी गीता गिरि जी एवं अपने दो बच्चों अमन गिरि एवं कार्तिक गिरि जो वो भी ललीत कलाओ में निपुण है आप उनके साथ दिल्ली में अपने मकान में बड़ी ही हँसता खेलता एक सुखद गृहस्थि बसाए है । आपने अपनी हर भूमिका को बहुत खूबसूरती से निभाया है जो असम्भव लगता था , उसे भी सम्भव कर दिखलाया है ।

लेखिका: पूजा गुप्ता

 

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