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महिलाओं से अधिक पुरुषों का हो रहा शोषण

पुरुष अपने समुदाय, देश, अपने मित्रों एवं परिवार के लिए पति, बेटे व पिता के रूप में अपनी अनेक भूमिका में प्रत्येक दिन का बलिदान करता है। सभी का मानना है कि पुरुषों से जुड़े मुद्दे अनेक हैं जिनकी लोगों को जानकारी नही हैं या जिन्हें अनदेखा किया जा रहा है जिसके कारण वर्तमान समाज में पुरुषों के प्रति अत्यधिक असंवेदनशीलता है। महिला सशक्तिकरण के विपरीत पुरुष सशक्तिकरण एक संवेदनशील व गंभीर विषय है। आंकड़े बतातें हैं कि महिलाओं से अधिक पुरुषों का शोषण हो रहा वैश्विक स्तर पर महिलाओं का औसत जीवनकाल 73 साल है, वहीं पुरुषों के लिए यह आंकड़ा केवल 68 साल ही है।

बढ़ती उम्मीदों पर खरा उतरना पुरुषों के लिए एक दुरूह कार्य

विश्व की जनसंख्या सांख्यिकी का आंकड़ा कहता है कि दुनिया में महिला-पुरुष अनुपात 100:102 है एवं पैदा होने वाले बच्चों का लिंग अनुपात 100:107 है। चिकित्सा विज्ञान मानता है कि किसी भी असामान्य परिस्थिति में मादा भ्रूणों की तुलना में नर भ्रूण के गर्भपात की संभावना ज्यादा होती है। वहीं जन्म के बाद पुरुषों का जीवन भी महिलाओं की तुलना में ज्यादा जोखिमभरा होता है। युद्ध, बीमारी वा पारिवारिक जिम्मेदारियों के दबाब से उनके जीवन पर हमेशा संकट बना रहता है। इसके अतिरिक्त समाज की लगातार बढ़ती उम्मीदों पर खरा उतरना पुरुषों के लिए एक दुरूह कार्य हो गया है।

बहुधा यह देखने को भी मिलता है कि कड़ी मेहनत करने के साथ-साथ घर परिवार एवं समाज के प्रति दायित्वों को निरंतर पूरा करने के बावजूद भी पुरुषों को तिरस्कृत एवं घृणात्मक दृष्टि से देखा जाता है जिससे पुरुषों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है और वे मांनसिक तनावग्रस्त एवं हताश हो जीवनलीला समाप्त कर देतें है।

भारत मे महिला कानूनों के दुरूपयोग (माननीय सुप्रीम कोर्ट केे अनुसार कानूनी आतंकवाद याचिका 141/2005 ) के कारण पारिवारिक टूटन, पत्नी व संतान से दूर होने ,अपने बुजुर्ग माता पिता व भाई बहनों की सुरक्षा की चिंता सामाजिक प्रतिष्ठा एवम आजीविका खोने के भय, अपनी सुरक्षा के लिए कोई भी प्रभावकारी फोरम/आयोग न होने के कारण कुंठा ग्रस्त हो पुरुष आत्म हत्या की दर दिन प्रति दिन बढ़ रही है। एनसीआरबी के अनुसार महिलायों की तुलना में यह ढाई गुना ज्यादा है ।

महिला एवं पुरुष दोनों की ही हिंसा का शिकार होता है पुरुष

ब्रिटेन जैसे विकसित देश मे भी हाउस ऑफ कॉमन्स में हो या भारत मे पुरुषों के अधिकारों एवं उसकी गरिमा की रक्षा के लिए पुरूष आयोग बनाने एवं मंत्रालय के गठन की मांग मुखर हो रही है। ब्रिटिश सांसद फिलिप डेविस ने व भारत मे सांसद हरि नारायण राजभर व अंशुल वर्मा द्वारा उठाया गया । संसार में लड़को की शिक्षा व सुरक्षा का स्तर नीचे गिरता जा रहा है। लगभग 20% पुरुष 65 वर्ष की आयु से पूर्व ही मर जातें हैं। पुरुष महिला एवं पुरुष दोनों की ही हिंसा का शिकार होता है। पुरुषों के मुद्दों के बारे मे सबसे बड़ी विडंबना यह है कि उनकी समस्याओं के बारे में बात ही नही की जाती है और यदि बात हो भी तो लोगों द्वारा अनदेखा कर दिया जाता है ।

गाइड समाज कल्याण संस्थान और पुरुष दिवस

गाइड समाज कल्याण संस्थान के तत्वाधान में अन्तराष्ट्रीय पुरुष दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न स्थानों पर पुरुषों के सम्मान में कार्यक्रम किये जाते हैं। इस बार भी संस्थान द्वारा विभिन्न स्कूलों, सरकारी कार्यालयों, सार्वजनिक प्रतिष्ठानों में एवं हजरतगंज, गोमतीनगर की मुख्य सड़कों पर जनसमुदाय को टॉफ़ी, पुरुष दिवस बधाई कार्ड एवं पुष्प भेंट किये गए। कार्यक्रम में संस्थापिका डॉ.इंदु सुभाष के साथ संस्थान के विनीत मित्रा, नेहा रस्तोगी, सुलेखा, पियूष आदि ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और पुरुष दिवस के बारे में लोगों को जागरूक किया।

19 नवम्बर 1999 को टोबेगो त्रिनिदाद से प्रारंभ हुए व संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मान्य यह दिवस अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के रूप में आज विश्व के लगभग 77 देशों में मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस समाज में पुरुषों द्वारा किये जा रहे त्याग एवम बलिदान की सराहना का दिवस है। इस दिवस का उद्देश्य पुरुषों और बालकों के स्वास्थ्य, सम्मान, मानवाधिकार पर ध्यान देते हुए शारीरिक और मानसिक शोषण से सुरक्षा कर उनके व्यक्तित्व एवं योगदान के प्रति प्रशंसा का भाव रखते हुए लैगिक समानता को बढ़ावा देना है।

भारत में इस दिवस को मनाने की शुरुआत 2007 में पुरुष अधिकारों के लिए संघर्ष-रत संस्था SFF (दिल्ली) द्वारा की गयी। भारत मे पुरुषों की उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए स्वयंसेवी संस्था गाइड समाज कल्याण संस्थान (रजि.) द्वारा युग पुरुष सम्मान प्रतिवर्ष दिया जाता है। इस विशेष दिन पुरुष नीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं। विभिन्न समारोह, गोष्ठियों व मनोरंजक कार्यक्रमों का आयोजन पुरुषों के अधिकारों की बात के साथ होता है।

वरुण सिंह

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