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40 ब्लड बैंकों के साथ साइन हुआ एमओयू, प्लाज्मा के बदले देंगी जीवन रक्षक दवाईयां

लखनऊ। साल 2018-19 के लिए प्रदेश के 41 ब्लड बैंकों के साथ एमओयू साइन किया गया है। इसके तहत अब प्लाज्मा की तमाम गंभीर बीमारियों में प्रयोग होने वाली जीवन रक्षक दवाईयां मिल सकेंगी। उत्तर प्रदेश राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी की तरफ से प्रदेश के 41 ब्लड बैंकों को चुना गया है। इंटास एवं रिलायंस ग्रुप के साथ एमओयू साइन किया गया है, जिसकी अवधि एक साल की है। एमओयू साइन किए गए 41 ब्लड बैंकों में राजधानी स्थित केजीएमयू, लोहिया और बलरामपुर के ब्लड बैंक शामिल हैं।

एमओयू साइन होने से प्लाज्मा वेसटिंग

दोनों कंपनियों को एमओयू के तहत 50-50 प्रतिशत प्लाज्मा की हिस्सेदारी दी गई है। आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की ओर से साल 2010-11 में प्लाज्मा से जीवन रक्षक दवाईयां बनाने के लिए कंपनियों से एमओयू साइन किया गया है। ऐसा करने से फायदा यह होगा कि प्लाज्मा वेसटिंग से बचा जा सकेगा।

दवाएं अब तक विदेशों से मंगवाई जाती थीं

उत्तर प्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी की संयुक्त निदेशक डॉ. गीता अग्रवाल ने बताया कि एमओयू में उन्ही कंपनियों को प्राथमिकता दी जाती है, जो केवल भारत में ही प्लाज्मा से जीवनरक्षक दवाईयां बनाकर मरीजों को उपलब्ध कराती हैं।लिवर से प्रोटीन का टपकना, लकवा होनास सेप्टीसीमिया और किसी गंभीर संक्रमण के दौरान एलुबिनम और इम्यूनोग्लोब्यूलिन जैसी दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इनके लिए दवाएं अब तक विदेशों से मंगवाई जाती थीं, जिससे कि इनकी कीमत बहुत ज्यादा थी। अब भारत में यह दवाईयां मिलने के बाद अब इनकी कीमत सस्ती पड़ रही है।

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एलुबियम और इम्यूनोग्लोू्यूलिन जैसी जीवन रक्षक दवा

प्लाज्मा से जीवन रक्षक दवाईयां बनाने के बाद इसका उपयोग बेहतरी के लिए होता है। फिर भी स्टोरेज से जुड़ी कुछ दिक्कतों के चलते अब प्लाज्मा बर्बाद होता है। दरअसल ब्लड बैंक से निकले प्लाज्मा एवं पीआरबीसी को ब्लड बैंक में संग्रहीत किया जाता है। पीआरबीसी की तुलना में प्लाज्मा की खपत कम है, ऐसे में बल्ड बैंकों में स्टोरेज की दिक्कतों के चलते ज्यादातर प्लाज्मा फेंक दिया जाता है। प्लाज्मा को बेचा नहीं जा सकता। इसलिए प्लाज्मा से एलुबियम और इम्यूनोग्लोू्यूलिन जैसी जीवन रक्षक दवाईयों को भारत से खरीदा जा रहा है। विदेशों में खरीदने से यह महंगी पड़ती हैं। भारत की ब्लड बैंकों में मौजूद प्लाज्मा से ये दवाईयां बनाई जा रही हैं।केजीएमयू का ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग साल भर में करीब 80 हजार लीटर प्लाज्मा निजी कंपनियों को देता है। निजी कंपनियों को दिएजाने वाले प्लाज्मा की कीमत 1600 रुपये प्रति लीटर आंकी गई है।

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