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‘काशी माॅडल’ से ‘2019’ जीतने की तैयारी

इसमें कोई दो राय नहीं की देवों के देव महादेव की नगरी काशी भारत ही नहीं पूरी दुनिया में एक अलग पहचान है। लेकिन बेतरतीब सड़के, जहां तहां बिखरे विकास उसकी साख पर बट्टा लगा रहे थे। अब जब चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशी को अपना लिया है, तो वे उनकी दिली इच्छा है कि काशी की साख में चार चांद लगाएं। इसके लिए उन्होंने काशी की संस्कृति एवं पहचान से बिना छेड़छाड़ किए ही काशी को संजाने- सवारने में जुटे है। मकसद है काशी के सहारे पूरे पूर्वांचल को साधने की।

2019 में काशी एक बार फिर..

उन्हें पता है कि 2017 में इसी काशी ने उनकी एक अपील पर हारी बाजी उनके झोली में डाल दी थी। मोदी को उम्मीद है कि उनके पीएम बनने में जिस तरह काशी समेत पूरा यूपी खेवनहार बना था, वैसे ही 2019 में काशी एक बार फिर पीएम बनायेगा। यही वजह है मोदी काशी को इतना सजा- संवार देना चाहते है कि 2019 में काशी पूरे देश का ‘माॅडल’ बने।

वैसे भी बनारस एक ऐसा संसदीय क्षेत्र है, जो यूपी-बिहार के साथ पूरे पूर्वांचल की राजनीति में अपनी खासा अहमियत भी रखता है। यही वजह है कि मोदी काशी को लगातार साधते रहे हैं और आगे भी जारी रखेंगे। उसी का परिणाम है कि चार साल में मोदी न सिर्फ 13 बार बनारस आ चुके है, बल्कि 35 हजार करोड़ से भी अधिक परियोजनाओं की आधारशिला भी रख चुके हैं। इसमें अधिकांश परियोजाएं निर्माण के अंतिम दौर में है, तो कुछ चालू है तो कुछ 2019 से पहले पूरा हो जायेंगे। या यूं कहे इन परियोजनाओं के जरिए काशी बदल रहा है।

वास्तविकता के धरातल पर

वास्तविकता के धरातल पर काशी बदलता हुआ दिखने भी लगा है। चाहे वो सड़क, सीवर, पेयजल, बिजली, पुल, धर्म, अध्यात्म हो, या रिंग रोड हो या फिर फोरलेन रोड या फिर आईपीडीएस सिस्टम हो, बाबा विश्वनाथ मंदिर से लेकर घाट तक को सजाने-संवारने में जुटे हैं पीएम मोदी।

परिणाम यह है कि काशी में आज प्राचीनता संग आधुनिकता का संगम दिख रहा है। हर ओर विकास तीव्र गति से देखी जा सकती है। बनारस में चार साल पहले सफाई अभियान की बिगुल फूंकी जो आज देश में मिशन के तौर पर दिखने लगा है। मकसद है संसदीय क्षेत्र वाराणसी को हाईटेक बनाने की। इसके लिए एकबार फिर मोदी ने काशी की जनता को तकरीबन 936.95 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को काशी को समर्पित करने के बाद वाराणसी के विकास के जरिए अपना चार साल का रिपोर्ट कार्ड भी पेश किया। माना जा रहा है कि 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले ‘ब्रांड काशी‘ न सिर्फ पूरे देश में विकास की पटकथा लिखेगा, बल्कि पर्यटन उद्योग की नयी ऊंचाईयों को छुएगा।

2019 का केन्द्र बिन्दु काशी

संभव है 2019 के लोकसभा चुनाव में काशी के विकास के माॅडल को मोदी देश का चुनावी मुद्दा बनाएं। काशी विकास में कहीं पिछड़ न जाएं योगी सरकार ने पूरी ताकत झोक रखी है। भाजपा सूत्रों पर यकीन करें तो कहा जा सकता है 2019 से पहले मोदी एवं योगी चाहते है कि काशी को इतना विकसित कर दिया जाएं कि चुनाव के दौरान देश में इसे काशी माॅडल के रुप पेश किया जा सके। दावा है कि एक बार फिर 2014 की तर्ज पर 2019 भी जीतेंगे और केन्द्र बिन्दु काशी होगी।

आजमगढ़, मिर्जापुर व बनारस की सभा में मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र काशी के विकास को हथियार बनाकर विपक्ष पर जमकर वार भी किया,  कहा- सपा सरकार ने बाधित कर रखा था बनारस का विकास। गंगा प्रदूषण से लेकर शहर के मूलभूत सुविधाओं के लिए केंद्र सरकार की ओर से कराए जा रहे विकास कार्यो में अखिलेश सरकार रोड़ा अटका रही थी, लेकिन वहीं काम योगी सरकार में जोर पकड़ा है।

मोदी ने पूर्वांचल की अहमियत और पिछड़ेपन को

मोदी ने पूर्वांचल की अहमियत और पिछड़ेपन को कुरेदते हुए ओबीसी व दलितों के दिलों को भी जीतने की कोशिश यह कह कर किया कि सूरज पूरब से ही उगता है। इसके बावजूद यहां के किसानों व बुनकरों की दशा नहीं सुधर सकी। इसलिए जब तक पूर्वांचल का विकास नहीं होगा तब तक न्यू इंडिया का सपना अधूरा रहेगा।

प्रधानमंत्री ने आश्वस्त भी किया है कि यह मेरा दायित्व है और विकास का यह सिलसिला जारी रहेगा। सूबे की सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के साथ पूरे प्रदेश की एक साथ बेहतर कनेक्टिविटी कर विकास की नई इबारत लिखने की तैयारी की है। इसके लिए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को बुंदेलखंड और आगरा एक्सप्रेस-वे से कनेक्ट किया जाएगा। इसके बाद दिल्ली से पटना तक की दूरी मात्र 10 घंटे में तय कर ली जाएगी। लोगों को जहां जाम से निजात मिलेगी, वहीं ईंधन के साथ समय की बचत होगी। पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

कम समय में दिल्ली तक की मंडियों में..

पूर्वी यूपी के उत्पाद और फसलों को कम समय में दिल्ली तक की मंडियों में पहुंचाया जाएगा। प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र की प्रगति और विकास पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे नई गति देने वाला है। 340.82 किमी के इस एक्सप्रेस के निर्माण की कुल अनुमानित लागत 23349 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसमें सिविल निर्माण की लागत 11836 करोड़ रुपये है। सरकार की ओर से नई बिग से 1514 करोड़ के बचत की बात कही जा रही है। एक्सप्रेस-वे को क्रास करने वाले मार्गों पर 10 किमी दूरी तक स्थित गांवों को इससे जोड़ने के लिए मुख्य मार्ग से जोड़ा जाएगा। एक्सप्रेस-वे पर कुल सात रेलवे ओवर ब्रिज, सात बड़े पुल, 112 छोटे पुल, 11 इंटरचेंज, सात टोल प्लाजा, चार रैंप प्लाजा, 220 अंडर पास और 496 पुलियों का निर्माण होगा।

इसमें दो बड़े पुल और दो रेलवे ओवर ब्रिज के जनपद में बनने की उम्मीद है। आपात स्थिति में लड़ाकू और भारी विमानों की लैंडिंग के लिए सुल्तानपुर के जयसिंहपुर तहसील में 3.20 किमी की हवाई पट्टी भी बनेगी। इसके बनने के बाद पूर्वी यूपी का कनेक्शन आगरा और यमुना एक्सप्रेस-वे के माध्यम से सीधे देश की राजधानी से हो जाएगा। इससे जुड़ने वाले जनपदों का सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ ही कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।

एक्सप्रेस-वे से दिल्ली को जोड़ने का काम

इसके किनारे विभिन्न उत्पाद इकाइयों विकास केंद्रों, कृषि उत्पादन क्षेत्र और औद्योगिक कारीडोर विकसित किया जाएगा। एक्सप्रेस-वे हैंडलूम उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों, कोल्ड स्टोरेज, भंडारण गृह, मंडी और दुग्ध आधारित उद्योग के लिए लोग आगे आएंगे। शिक्षण संस्थानों के लिए भी अवसर उपलब्ध होंगे। इसके साथ ही सरकार ने बुदेलखंड को भी एक्सप्रेस-वे से दिल्ली को जोड़ने का काम अपने हाथों में लिया है। ये चित्रकूट से प्रारंभ होकर इटावा तक जाएगा। इसकी लंबाई 289 किमी होगी। 110 मीटर चैड़ा ये मार्ग चार लेन का होगा, जो छह लेन तक बढ़ाया जा सकेगा। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को इससे भी कनेक्ट किया जाएगा।

मोक्ष की नगरी में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो रही

योगी सरकार स्वच्छता और काशी की धरोहरों के संरक्षण की दिशा में बड़े काम कर रही है। मोक्ष की नगरी में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो रही हैं। बनारस पूर्वी भारत का हेल्थ हब हो गया है। बीएचयू की अलग पहचान और योगदान है, एम्स के साथ समझौता हुआ है, अब परिणाम जल्द दिखेंगे। यहां दस हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर बेहतरी की जा रही है, यह सिलसिला जारी रहेगा। काशी पर्यटन के मानचित्र पर तेजी से उभरी है। यहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर का कन्वेंशन सेंटर जापान की मदद से तैयार होने जा रहा है।

बनारस स्मार्ट सिटी में तब्दील

बनारस स्मार्ट सिटी में तब्दील हो रहा है जो यंग इंडिया और न्यू इंडिया का प्रतीक है। बेशक, मोदी-योगी सरकार के प्रयासों व जनसहभागिता से बनारस की जो तस्वीर निखर रही उससे मोदी भी निश्चिन्त हैं कि 21 जनवरी से होने वाले दो दिवसीय प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन उनके लिए ट्रम्प कार्ड साबित होगा मिशन 2019 का दरवाजा खोलने के लिए। क्योंकि प्रवासी भारतीय सम्मेलन पर देश ही नहीं विदेशों की भी निगाह होगी। यहीं वजह है कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। प्रवासी भारतीय दिवस पर 50 करोड़ से अधिक खर्च हो रहे हैं। सात से आठ हजार प्रवासियों को काशी आने का न्यौता दिया गया है। ऐसे में अब काशीवासियों को आगे आना होगा और तेजी से संवर रही काशी के विकास में अपना योगदान देना होगा।

नमामि गंगे योजना से

बता दें कि नमामि गंगे योजना से जीर्ण-शीर्ण पड़े 26 घाटों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, इसके अलावा गंगा में नालों के जरिए मल-जल न गिरे इसके लिए गोइठहां और दीनापुर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है, इन्हें सितंबर में जनता के हवाले कर दिया जाएगा। इसके अलावा रमना एसटीपी का कार्य त्वरित गति से चल रहा है, मार्च 2019 तक यह कार्य भी धरातल पर उतर जाएंगे।

हमें नहीं भूलना चाहिए कि किस तरह चार वर्ष पहले गलियों में तार के गुच्छे लटकते थे, सड़कों पर अंधेरे का बसेरा हुआ करता था, गंगा के बहाने सरकारों ने किस कदर लूट मचाई हुई थी। वाराणसी-सुल्तानपुर हाईवे पर मिले वर्षो पहले के जख्म अब भी लोगो के जेहन में हैं। लेकिन न अब गलियों में तार दिखाई पड़ते हैं और न ही गलियों में अंधेरा रहता है। हेरिटेज लाइटें कैसे बनारस के हुस्न को निखार रही हैं, इसे देखा जा सकता है। हृदय, स्मार्ट सिटी, उज्ज्वला, सीएनजी, विद्युतीकरण, कारगो, मुद्रा, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, उद्योग नीति, स्वच्छता और प्रसाद योजना को हर वर्ग तक पहुंचाने की कोशिश की।

तीन तलाक और मुस्लिम महिलाओं के हक की बात

खास यह है कि मोदी ने शहर से गांवों तक विकास की लौ यूं ही जलाए रखने का वायदा भी किया। फ़िलहाल, लोकसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल कर केंद्र में सरकार बनाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पूर्वाचल यात्रा के साथ ही 2019 के चुनाव को लेकर बिसात बिछानी शुरू कर दी। उन्होंने तीन तलाक और मुस्लिम महिलाओं के हक की बात को दोहराते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि इस बार के चुनाव में दो ब्रह्मास्त्र का प्रयोग होगा। पहला विपक्ष के बड़े वोट बैंक मुस्लिम समुदाय की आधी आबादी को अपने पक्ष में लेकर चलेंगे और दूसरे विकास की तेज आंधी में विरोधियों को उड़ा देंगे।

आजमगढ़ की सभा से

मोदी ने आजमगढ़ की सभा से यह संकेत दे दिया कि मुस्लिमों की आधी आबादी को हक दिलाने में रोड़ा बन रहे विपक्षियों के आगे वे तनिक भी नरम नहीं पड़ेंगे। तीन तलाक से जुड़े इस बड़े मसले पर भाजपा न सिर्फ विपक्ष को करारा जवाब देगी बल्कि मौलानाओं की कट्टरता वाली भूमिका को भी बेनकाब करेगी। तीन तलाक और विकास के मुद्दे को लेकर मोदी न सिर्फ कांग्रेस पर हमलावर हैं बल्कि विपक्षियों के गठबंधन को भी संसद में चुनौती देंगे।

मतलब साफ है प्रधानमंत्री के आजमगढ़ और बनारस में हुए संबोधन से तय है कि अबकी चुनाव में भी विकास का एजेंडा केंद्र में होगा। दूसरा सबसे बड़ा रोल माडल होगा बदलता बनारस, जिसकी ब्रांडिंग में मोदी कतई पीछे नहीं रहते हैं। संकोच भी भला क्यों करें, उन्होंने बनारस की तस्वीर ही बदल दी है। मोदी का पूरा आभास है कि मिशन 2019 में देश का सबसे बड़ा सूबा उत्तर प्रदेश सध गया तो बड़ी जीत सुनिश्चित है। यही वजह है कि वे प्रदेश के बदले माहौल का बखान करने में पीछे नहीं रह रहे।

यूपी में कानून व्यवस्था

यूपी में कानून व्यवस्था से लेकर सुविधाओं की बेहतरी से ऐसा माहौल तैयार हो चुका है कि देश-विदेश की कंपनियों को भी यहां उद्यम लगाने में कोई झिझक नहीं रह गई। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने समर्थन मूल्य को बढ़ाकर पहले ही किसानों को अपना मुरीद बना लिया है।

सुरेश गांधी
सुरेश गांधी

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