मुंबई। पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री (Pakistan’s film industry), जिसे आमतौर पर लोलीवुड कहा जाता है, उस वक्त से बुरी तरह जूझ रही है जब से देश में भारतीय कंटेंट को पूरी तरह बैन कर दिया गया। अब ना सिर्फ भारतीय फिल्में सिनेमाघरों में रिलीज़ होती हैं, बल्कि उन्हें टेलीविज़न पर दिखाना भी मना है।
2019 में बैन से पहले, कुछ चुनिंदा हिंदी फिल्में पाकिस्तान में रिलीज़ होती थीं और बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करती थीं। बजरंगी भाईजान ने वहां लगभग ₹34 करोड़ कमाए थे, जबकि संजू ने भी अच्छा कलेक्शन किया था। ये आंकड़े दिखाते हैं कि पाकिस्तान में भारतीय कंटेंट की कितनी मांग थी।
द कश्मीर फाइल्स के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) ने कहा, तो जब से हिंदी फिल्मों को वहाँ (पाकिस्तान) पर बंद कर दिया गया, वहाँ के थिएटरों की संख्या भी कम हो गई है। पाकिस्तान का डोमेस्टिक सिनेमा पूरी तरह से तबाह हो गया है। जो कुछ बनता भी है वो सब दुबई बेस्ड है, पाकिस्तान बेस्ड उसमें कुछ नहीं है।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पाकिस्तान में अब मनोरंजन के साधन लगभग खत्म हो चुके हैं। पाकिस्तान में मूवी टिकट की कीमत ₹600 से लेकर ₹2,000 तक जाती है, जबकि वहां की औसतन मासिक सैलरी ₹15,000 के आसपास है। ऐसे में आम जनता के लिए इतनी महंगी एंटरटेनमेंट को रेगुलर तौर पर अफोर्ड कर पाना बेहद मुश्किल हो गया है। इस मुद्दे पर द राइट एंगल शो में सोनल कालरा ने विस्तार से बात की, जिसे गौतम ठाक्कर फिल्म्स ने प्रोड्यूस किया है।
वहीं फवाद ख़ान (Fawad Khan) के सितारे भी कुछ खास मेहरबान नहीं हैं, क्योंकि उनकी बॉलीवुड कमबैक फिल्म अबीर गुलाल की रिलीज़, पहलगाम आतंकी हमलों (Pahalgam terror attacks) के बाद टाल दी गई है। कुल मिलाकर देखा जाए तो, लगातार बढ़ती कीमतों और कंटेंट पर पाबंदियों के चलते पाकिस्तान में मनोरंजन न सिर्फ मुश्किल होता जा रहा है, बल्कि आम लोगों की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। आज की तारीख में पाकिस्तान में एंटरटेनमेंट एक लग्ज़री बन चुका है।