Breaking News

वर्क लाइफ बैलेंस गड़बड़ तो नहीं? इससे भी बढ़ सकता है हृदय रोगों का खतरा, रहें सावधान

लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी के कारण कई प्रकार की बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। आलम ये है कि 20 से कम उम्र के लोग भी डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों का शिकार हो रहे हैं। कई अध्ययन इस बात पर भी जोर देते रहे हैं कि ऑफिस में आठ-दस घंटे रोजाना बिताने वाले लोगों में बीमारियों के बढ़ने का खतरा हो सकता है।

वर्क लाइफ इंबैलेंस की हाल के दिनों में काफी चर्चा रही है, क्या आप जानते हैं कि इसमें होने वाली गड़बड़ी के कारण भी आप कई तरह की बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। एक स्वस्थ वर्क-लाइफ बैलेंस बनाना आपके मेंटल और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए जरूरी है।

अध्ययनों से पता चलता है कि अगर आपका वर्क लाइफ बैलेंस ठीक नहीं है तो इसका असर हृदय की सेहत को भी प्रभावित करने वाला हो सकता है।

हार्मोन्स की समस्या और ब्लड प्रेशर का जोखिम

चूंकि ऑफिस के काम के कारण खुद के और परिवार के लिए समय न निकाल पाने से तनाव बढ़ता है, वहीं अगर ये तनाव लंबे समय तक बना रहता है तो इससे शरीर में कॉर्टिसोल और एड्रेनालिन जैसे हार्मोन बढ़ने लगते हैं।

इन हार्मोन्स के कारण रक्तचाप और शरीर में इंफ्लेमेशन का जोखिम भी बढ़ जाता है जिसका हृदय स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।

वर्क-लाइफ बैलेंस में गड़बड़ी का असर

वर्क-लाइफ बैलेंस खराब होने पर लोग अक्सर पर्याप्त नींद नहीं ले पाते। अध्ययनों से पता चला है कि कम नींद या असंतुलित नींद पैटर्न भी हृदय गति और रक्तचाप को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। यही कारण है कि जिन लोगों का वर्क-लाइफ बैलेंस ठीक नहीं होता है ऐसे लोगों में ब्लड प्रेशर और हृदय से संबंधित समस्याओं का जोखिम काफी बढ़ जाता है।

अध्ययन में क्या पता चला?

60,000 से अधिक लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि हफ्ते में 55 घंटे या उससे अधिक काम करने वाले लोगों में हार्ट अटैक का खतरा 33% अधिक हो सकता है। वहीं यूरोपियन हार्ट जर्नल में 2020 में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पाया गया है कि नौकरी का अत्यधिक तनाव सीधे तौर पर हृदय रोगों और स्ट्रोक के जोखिमों को बढ़ाने वाली हो सकती है।

About News Desk (P)

Check Also

रिश्तों का एटीएम: जब प्यार केवल ट्रांज़ैक्शन बन जाए

रिश्ते (Relationships) अब महज़ ज़रूरतों के एटीएम (ATMs of Mere Needs) बनते जा रहे हैं। ...