लक्षण : बैक्टीरियल इंफेक्शन में आंखों में लालिमा, दर्द और गंभीर अवस्था में सूजन आ जाती है. वायरल और फंगल के लक्षण भी समान हैं फर्क सिर्फ इतना है कि इनमें लक्षणों की पहचान आरंभ में न होकर स्थिति गंभीर होने पर होती है.किन्हें ज्यादा खतरा
जो धूल-मिट्टी के सम्पर्क में अधिक रहते हैं. डायबिटीज और क्रॉनिक रोगों के मरीज या एंटी कैंसरस ड्रग का इस्तेमाल करने वालों में इसकी संभावना अधिक रहती है. निर्बल इम्युनिटी वाले या नमी वाली स्थान पर रहने वालों में यह रोग होने कि सम्भावना है.
गंभीर अवस्था
इसमें कॉर्नियल अल्सर बनता है जिसमें कॉर्निया में पस भर जाता है, इसे हाइपोपियोन कहते हैं. कॉर्निया में सूजन रहने के साथ नजर निर्बल होने लगती है इससे चीजें धुंधली दिखती हैं.
इलाज : आंसू का नमूना लेकर कल्चर टैस्ट करते हैं. इसमें बैक्टीरिया, वायरस या फंगस की सूक्ष्म स्तर पर जाँच होती है जिससे कौन से जीव से रोग पनपा, का पता चलता है. ड्रॉप्स औरएंटीबायोटिक दवा देते हैं. बैक्टीरियल का एंटीबैक्टीरियल दवा या फॉर्टिफाइड एंटीबायोटिक ड्रॉप्स से उपचार करते हैं.