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साहित्य/वीडियो

रम्मो

संध्या का छुटपुटा हो गया था। अंधेरा धीरे-धीरे पाँव पसार रहा था। जीवन संगीत मद्धिम पड़़ रहा था। दिनभर की भागदौड़ के बाद एक शांति। सूर्य देव भी विश्राम के इरादे से अस्ताचल गामी हो गए थे। न जाने क्यों वीरेंद्र बाबू का मन भी डूबा जा रहा था…रम्मो! रम्मो! ...

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गणतंत्र का यही तकाज़ा

गणतंत्र का यही तकाज़ा आओ हम भी गणतंत्र मनाए एक तिरंगा जरूर फैहराये तिरंगा बलिदानों से मिला है सेनानियों की शहादत से मिला है बाबा साहब ने जो संविधान दिया उसकी हम वर्षगांठ मनाए। पर,क्या संविधान पर चल रहे हम उसको सर्वोच्च मान रहे है हम संविधान में तो जनता ...

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लखनऊ में 12 से होगा राजकमल का किताब उत्सव

नई दिल्ली/लखनऊ। 12 जनवरी से लखनऊ में किताब उत्सव का आयोजन हो रहा है। गोमती नगर स्थित अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में आयोजित यह कार्यक्रम 16 जनवरी तक चलेगा। राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा आयोजित इस पाँचलखनऊ में 12 से होगा राजकमल का किताब उत्सव दिवसीय महोत्सव में लखनऊ शहर के ...

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फिल्म लेखक वेदिक द्विवेदी छात्रसंघ पर लिख रहे किताब, किए ये बड़े खुलासे

अपनी हाल ही में आई पुस्तक रामेश्वरा की बड़ी सफलता के बाद फिल्म लेखक वेदिक द्विवेदी द्वारा उनके दूसरे पुस्तक पर काम किया जा रहा है। उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह कहा कि पुस्तक का नाम छात्रसंघ है। जिसमें राजनीति की तीखी चटपटी नोक झोंक के साथ ही इतने ...

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एकलव्य का अंगूठा

स्कूल यूनीफॉर्म का मोजा पहनते ही पांच में से तीन अंगुलियां बाहर आ गईं। विधवा मां ने देखा तो उसकी समझ में नहीं आया कि क्या किया जाए। पर समझदारी तो उसने बेटे को बचपन में ही पिला दी थी। इसलिए दीनू यानी दिनेश ने कहा, “मां आज स्टेट डिबेट ...

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शर्मसार

जिया पाश्चात्य रंग में रंगी हुई एक बिगड़ैल लड़की थी. पिता भी उसके पहनावे और व्यवहार को गलत नहीं कहते। किन्तु माँ जरूर हमेशा आपत्ति जताती रहती। लेकिन माँ की सुनता कौन? घर में माँ पूजा पाठ करती तो वह प्रसाद भी नहीं खाती, “क्या मॉम कब तक पुरानी रीति ...

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पाकेट मनी: खून और आंसू

उसने बड़ी तेज आवाज के साथ अपने कमरे का दरवाजा खोला, बैग पलंग पर पटकते हुए मुँह के बल लेट गया। स्कूली ड्रेस और जूते भी नहीं उतारे थे उसने। दरवाजे की तेज आवाज सुनकर माँ चौंक गईं, घबराते हुए बोल पडी़ं क्या हुआ बेटा…। कमरे में जाकर देखा तो ...

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लेट लतीफ़

अंजली आज सुबह से आकाश का सिर खा रही थी। सुनिए अब तो सारे रिश्तेदारों में आपकी लेट लतीफ़ वाली इमेज चर्चा का विषय बन गई है। कहीं भी जाना होता है तो हर बार हमारी फ़ैमिली ही आपकी वजह से कार्यक्रम ख़त्म होने के बाद ही पहुँचती है। कई ...

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महंगाई

महंगाई छूटे सारे शौक घटती कमाई मार गई। भूले सारे स्वाद रसोई की रुलाई मार गई।। कुछ न पूछो दोस्तों कि हमको क्या हुआ। हमको तो निगोड़ी महंगाई मार गई।। नित बढ़ते सारे टैक्स की अदाई मार गई। अपना घर भरते नेताओं की बेहयाई मार गई।। हमें ख़ुद समझ न ...

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पुस्तक समीक्षा: सबरस समाहित अद्वितीय कृति है ‘निहारिका’

पुस्तक का नाम- निहारिका, समीक्षक- आशीष तिवारी निर्मल, रचनाकार-कवि उपेन्द्र द्विवेदी रूक्मेय, प्रकाशक- विधा प्रकाशन उत्तराखंड, कीमत-225 कवि सम्मेलन यात्रा से मैं लौटकर रीवा पहुंचा ही था कि देश के तटस्थ रचनाकार कवि उपेन्द्र द्विवेदी का फोन आया कि अल्प प्रवास पर रीवा आया हूं शीघ्र ही राजस्थान निकलना है। ...

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