प्यार भरे संबंध में वार्ता का एक अहम भूमिका है। पार्टनर से जितना ज्यादा अपने विचार साझा करेंगे उतना ज्यादा अच्छे से ही आप उसे समझ पायेंगे औए आपके संबंध में करीबी होगी। लेकिन रिश्तों में थोड़ी दूरी व निजता भी महत्वपूर्ण है। निजता के अर्थ हर संबंध के हिसाब से भिन्न-भिन्न होते हैं। जब लोग प्यार में होते हैं तो कई बार कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें साथी के साथ शेयर करने पर लोग असहज महसूस करते हैं। साथी के इस व्यवहार को लेकर कई लोगों के मन में यह बात बैठ जाती है कि साथी उनपर विश्वास नहीं करता वउनके बीच का प्यार हवा हो चुका है। अगर आपका साथी आपसे कुछ नहीं बताना चाहता तो आपको उसके इस व्यवहार को स्वीकार करना होगा व समझना होगा। अगर आप चाहते हैं कि आपके संबंध में कभी कोई कठिनाई न आये तो बेहतर है कि इस मसले पर पहले ही आप अपने पार्टनर से वार्ता कर लें व उन्हें अच्छे से बता दें कि आपके लिए व्यक्तिगत स्पेस व प्रिवेसी के क्या अर्थ हैं। विश्वास किसी भी संबंध की नींव होता है। अगर आपका साथी संबंध को लेकर कमिटेड हैं व आप उनपर ट्रस्ट कर पाते हैं तो ये आपके संबंधमें ठहराव व मजबूती लेकर आएगा व आपको अपने साथी की निजता से कोई समस्या नहीं होगी।
जब लोग अपना जीवनसाथी चुनते हैं जो अपनी जिंदगी का एक लंबा वक्त उनके साथ बिताने का निर्णय करते हैं। लेकिन इसके लिए ये कतई महत्वपूर्ण नहीं है कि दिन भर में जो कुछ भी है वो सब साथी के सामने जाकर उगल दें।
अगर किसी ख़ास टॉपिक पर वार्ता से आपका साथी असहज हो जाता है तो बेवजह उस मामले को कुरेदें नहीं। ऐसा करने से जहां आपकी आपसी समझ बढ़ेगी वहीं आपके बीच एक सम्मान का रिश्ता भी पनपेगा।