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इस एकादशी में दान करने से मिलती है बीमारीयों से मुक्ति…

सनातन संस्कृति में तरह से हर तिथि के एक देवता होते हैं और तिथि के अनुसार देवी-देवता की पूजा का शास्त्रों में विधान बताया गया है। हर तिथि को उससे संबंधित देवता की पूजा करने से उस आराधना का फल मिलता है। इन तिथियों में भी कुछ तिथि काफी महत्वपूर्ण है, जिनसे संबंधित देवता की उपासना और व्रत करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है। ऐसी ही एक फलदायी तिथि एकादशी है। 9 सितंबर सोमवार को इस बार परिवर्तिनी एकादशी है।

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
परिवर्तिनी एकादशी को पार्श्व एकादशी, वामन एकादशी, जयझूलनी, डोल ग्यारस और जयंती एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी के व्रत से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु के वामन स्वरूप की उपासना की जाती है। परिवर्तिनी एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली मानी जाती है। इसलिए मान्यता है कि जो भक्त अपने पूर्वजन्म के और इस जन्म में जाने अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित करना चाहता हैं और मोक्ष की कामना रखता है, उसको इस एकादशी का व्रत रखना चाहिए।

परिवर्तिनी एकादशी को श्रीहरी बदलते हैं करवट
हर मास में दो एकादशी तिथि आती है। इस तरह देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में शयन के लिए प्रस्थान कर जाते हैं और चार महीने तक योगनिद्रा में रहते हैं। इन चार महीनों को चातुर्मास कहा जाता है। चातुर्मास धार्मिक कार्यों, भक्ति, कथाश्रवण और ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन इन चार महीनों को चातुर्मास या चौमासा कहा जाता है।

भगवान लक्ष्मीनारायण चार मास के श्रवण के बाद देवउठनी एकादशी पर उठते हैं, लेकिन भगवान विष्णु के शयन के दौरान एक समय ऐसा भी आता है, जब श्रीहरी निद्रा में करवट बदलते हैं। भगवान के करवट बदलने का समय भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आता है। इसलिए इस एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी के रूप में भी जाना जाता है।

परिवर्तिनी एकादशी को दान का है बड़ा महत्व
परिवर्तिनी एकादशी तिथि को दान का भी बड़ा महत्व है। इस दिन अन्न, धार्मिक पुस्तक, द्रव्य आदि के दान की महिमा बताई गई है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन अन्न का दान अवश्य करना चाहिए। छात्रों को शिक्षा और ज्ञान की बड़ी आवश्यकता होती है इसलिए इस दिन ज्ञान प्राप्ति के लिए ऋतुफलों से भरी टोकरी मंदिर में दान करना चाहिए। इसके साथ ही धार्मिक पुस्तक के दान का भी इस दिन बड़ा महत्व है।

गरीबों को इस दिन अन्न का दान करने से श्रीहरी की कृपा प्राप्त होती है। धनप्राप्ति के लिए इस दिन अन्न दान के साथ साथ द्रव्य और वस्त्र का भी दान करना चाहिए। ब्लड प्रेशर और डायबिटीज से पीड़ित जातकों को इस दिन मंदिर में मिष्ठान्न का दान करना चाहिए और साथ ही श्रद्धानुसार मसूर की दाल और चीनी का दान करना चाहिए।

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