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उत्तराखंड में राज्यपाल को नहीं पसंद आ रहा अफसरशाही के काम करने का तरीका

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य त्रिवेंद्र सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों से संतुष्ट हैं, लेकिन इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इन्हें धरातल पर कैसे उतारा जाएगा? दरअसल, उन्हें अफसरशाही के काम करने का तरीका पसंद नहीं आ रहा। वे चाहती हैं कि नौकरशाही अपना सौ फीसदी दे।


वे राज्य में उच्च शिक्षा के स्तर में और अधिक सुधार लाने पर जोर दे रही हैं। इसके लिए वे राजभवन स्तर पर ऐसे प्रयास कर रही हैं कि सभी विश्वविद्यालय एक अंब्रेला एक्ट के तहत संचालित हों। महिलाएं और बच्चे उनके एजेंडे में सबसे ऊपर हैं।

अमर उजाला ने उनसे ऐसे कई अन्य ज्वलंत मसलों पर बातचीत की। राज्यपाल ने अमर उजाला के राज्य ब्यूरो प्रमुख अरुणेश पठानिया के इन मसलों से जुड़े हर सवाल का बड़ी बेबाकी के साथ जवाब दिया। इस दौरान अपने एक साल के कार्यकाल के अनुभवों को उन्होंने बेहद सहजता के साथ साझा किया। पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश:-

उत्तराखंड में राज्यपाल के तौर पर कार्यकाल का पहला वर्ष किन अनुभवों के साथ गुजरा?
पदभार ग्रहण करने के साथ ही मैंने राज्यपाल के लिए महामहिम का संबोधन समाप्त किया। मेरा मानना है कि यह एक शब्द राज्यपाल को जनता से जुड़ने से रोकता है। चूंकि उत्तराखंड मेरे लिए नया राज्य था, तो मुझे लगभग छह माह प्रदेश को समझने में लगे। मेरी कोशिश रही कि हर क्षेत्र के लोगों से अधिक से अधिक मिलूं। पहाड़ी क्षेत्रों का दौरा किया। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों से मुलाकात की, उनके सशक्तीकरण को लेकर प्रयास शुरू किए। स्वयं महिला हूं तो मेरा फोकस महिला और बच्चों पर अधिक है। उनकी हेल्थ और सुरक्षा पर कुछ करने की सोच रहे हैं।

किन कोर सेक्टर पर आपका फोकस रहा ?
महिलाओं को फोकस में रखकर काम कर रही हूं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि महिलाओं के स्वरोजगार को प्रोत्साहित कर पर्वतीय क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। मैंने जनपदों का दौरा कर उनकी समस्याओं को जाना। महिलाओं को सशक्त करने के लिए आंगनबाड़ी से उद्यमिता तक हमें ध्यान देना होगा। उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण है, इसके बाद उनको उद्यमिता से जोड़कर आर्थिक रूप से सशक्त करना होगा। सरकार की ओर से कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन उनको ठीक तरह से धरातल पर उतारना है। अमल करना अधिकारियों के हाथ में है। इसके साथ बच्चों को नशे की लत से दूर रखना है। उन्हें किस तरह इससे दूर रखा जाए। उनकी काउंसलिंग करवाई जाए, इस क्षेत्र में काम किया जा रहा है।

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