हिंदू धर्म में कई धार्मिक ग्रंथ हैं जिसमें से गरुण पुराण एक है। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुण के कहने पर उसे धर्म से सम्बंधित, इस लोक, मृत्युलोक, ज़िंदगी वमृत्यु जैसे रहस्यमय विषयों पर कई जरूरी बातों का ज्ञान दिया। आइए जानते हैं गरुण पुराण में मनुष्य के किन कामों को महापाप माना गया है। जिस वजह से मौत के बाद उसे नर्क की यातनाओं से गुजरना पड़ता है व वो नर्क की आग में जलता है।
गरुण पुराण में लिखा है कि चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद आत्मा मनुष्य का शरीर धारण करती है। केवल मनुष्य योनि में ही जीव तत्वज्ञान को समझ पाता है व उसे स्व (खुद) का बोध होता है। मानव योनि में जन्म लेने के बावजूद जो मनुष्य धर्म के रास्ते पर नहीं चलता है वो नर्क में जाता है।
मनुष्य ज़िंदगी में आदमी के पूर्व व वर्तमान जन्म में संचित कर्मों के आधार पर पुण्य फल की प्राप्ति होती है। मनुष्य द्वारा किए गए ये पुण्य कर्म ही उसका किस्मत निर्धारित करते हैं।हालांकि मनुष्य कभी भी इस बात का पता नहीं लगा पाता है कि कब उसके पुण्य कर्म बढ़ रहे हैं व कब उनका क्षय (नाश) हो रहा है। इसलिए बेहतर हैं कि ज्यादा से ज्यादा अच्छे कार्य किए जाएं।
गरुण पुराण में लिखा है कि केवल अपने स्वार्थ, भोग विलास का ज़िंदगी जीने वाला मनुष्य महापापी होता है। इसलिए आदमी को ज़िंदगी का सदुपयोग ऐसे कामों में करना चाहिए ताकि उसे जन्म व मौत के बंधन से मुक्ति मिल सके।
गरुण पुराण में जिक्र है कि जो आदमी अच्छे परिवार में पैदा होने व ज़िंदगी की सब सुख सुविधाओं में पलने के बावजूद इस जन्म में अपने उद्धार के लिए कार्य नहीं कर पाता है, जिसके मन में दान, दया, करुणा की भावना नहीं होती है , उसे ब्रह्मघाती बोला जाता है।
गरुण पुराण में इस बात का जिक्र है कि मनुष्य को अपने ज़िंदगी को बचाने का कोशिश करना चाहिए व इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि उसकी वजह से दूसरों को तकलीफ न हो।