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प्रोटीन पाउडर का सेवन उचित है या नही,जानिये इसके फ़ायदे व नुक़सान के बारे में…

 जिम में पसीना बहाने वाले युवाओं को प्रोटीन पाउडर खाने की सलाह दी जाती है. लेकिन क्या प्रोटीन का इस तरह सेवन करना उचित है?  इसके फ़ायदे तथा नुक़सान क्या हैं? प्रोटीन का यह विकल्प कैसा है?हृष्ट-पुष्ट  सुन्दर शरीर की चाहत में जिमिंग करने वाले युवा एक सख़्त डाइट  फिटनेस रुटीन का पालन करते हैं. सामान्यत: सभी जिमिंग करने वाले युवा भारी शारीरिक व्यायाम के साथ प्रोटीन के विकल्प यानी प्रोटीन सप्लीमेंट्स का सेवन करना उचित मानते हैं. पर क्या इनका इतना सेवन उचित है?

  1. प्रोटीन सप्लीमेंट्स विकल्प पूरक आहार होते हैं. ये अलावा वज़न कम करने में सहायक तथा मांसपेशियों की मज़बूती बढ़ाने वाले माने जाते हैं. प्रोटीन के इन विकल्पों को तैयार करने के लिए विभिन्न स्रोतों से प्रोटीन लिया जाता है जैसे पौधे (सोयाबीन, मटर, चावल  आलू) या अंडे या दूध आदि. इसके बाद इन विकल्पों में शक्कर, कृत्रिम गंध, विटामिन्स  खनिज तत्व मिलाए जाते हैं. ये प्रोटीन सप्लीमेंट्स पाउडर, शेक या कैप्सूल के रूप में होते हैं. इनके प्रोटीन पर ग़ौर करें आमतौर पर सप्लीमेंट्स में दो प्रकार के प्रोटीन उपस्थित होते हैं- वे (whey)  केसिन (casein). इन्हें दूध से निकाला जाता है. ये अमीनो एसिड के अच्छे स्रोत होते हैं. अधिकांश जिम जाने वाले युवा ‘वे’ प्रोटीन का सेवन करते हैं. यह एक तेज़ी से पचने वाला प्रोटीन है वहीं केसिन को तुलनात्मक रूप से पचने में काफ़ी समय लगता है. लेकिन यह जान लेना भी ज़रूरी है कि ‘वे’ प्रोटीन में ग्लोब्यूलर प्रोटीन उपस्थित होता है जो शरीर को फ़ायदा कम, नुक़सान अधिक पहुंचाता है.
  2. विकल्प के नुक़सान प्रोटीन सप्लीमेंट्स का लगातार सेवन शरीर को कई नुक़सान पहुंच सकता है. प्रोटीन पाउडर के सेवन से इंसुलिन का स्तर बढ़ सकता है. चूंकि ये व्यावसायिक रूप से तैयार होते हैं, लिहाज़ा इनमें क्या-क्या उपस्थित है यह जानना ज़रूरी है. कुछ प्रोटीन पाउडर में अत्यधिक विषाक्त धातु जैसे सीसा, कैडमियम, आर्सेनिक  पारा आदि होती हैं. इस कारण सिरदर्द, थकान, कब्ज़  मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है.
    • ‘वे’ प्रोटीन में कुछ हॉर्मोन  बायोएक्टिव पेप्टाइड्स होते हैं जो मुंहासों की संभावना बढ़ाते हैं.
    • कुछ ‘वे’ प्रोटीन सप्लीमेंट्स में शक्कर के रूप में अलावा कार्बाेहाइड्रेट उपस्थित होते हैं जो फैट घटाने के बजाय बढ़ाते हैं. अत्यधिक सेवन से दिल सम्बंधी ख़तरा भी जुड़ा हुआ है. पेट सम्बंधी विकार भी उपज सकते हैं.
    • प्रोटीन पाउडरों के सेवन से समय के साथ ओस्टियोपोरोसिस (हडि्डयों में कमज़ोरी)  किडनी सम्बंधी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं.
    • इन सप्लीमेंट्स का उपभोग करने वाले लोग इनके सेवन के अन्य बिंदुओं की ओर ध्यान नहीं देते. जैसे पानी की ठीक मात्रा, विटामिन, खनिज तत्व  फाइबर का ठीकमात्रा में सेवन भी शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जरूरी है.
  3. बातों में न आएं अक्सर युवा दूसरों की सलाह पर प्रोटीन पाउडर का सेवन प्रारम्भ कर देते हैं, लेकिन यह बिल्कुल भी सुरक्षित  प्रभावी नहीं है. तथ्य यह है कि प्रोटीन पाउडर में सभी आवश्यक पोषक तत्व नहीं होेते जो संतुलित भोजन को पूरा करने के लिए ज़रूरी हैं. इसलिए इसका सेवन बहुत ही सीमित मात्रा में करना चाहिए  किसी भी प्रोटीन पाउडर के सेवन से पूर्व पोषण विशेषज्ञ की सलाह ज़रूर लेनी चाहिए.
  4. प्राकृतिक प्रोटीन के स्रोत जैसे- दूध, अंडा  फल आदि के सयापेक्ष प्रोटीन पयाउडर में पोषक तत्वों का संयोजन असंतुलित होता है. इन तत्वों का घनत्व भी अधिक होता है जिस कारण शरीर में पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ सकता है. प्राकृतिक प्रोटीन के लिए डेयरी उत्पादों को अपने भोजन में शामिल करें. कददू के बीज,पनीर, बटर, बादाम, ग्रीक योगर्ट भी प्रोटीन से भरपूर होते हैं.

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