शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार की बढ़त के साथ शुरुआत हुई. शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 170 अंक से अधिक मजबूत होकर 40,500 के स्तर पर आ गया तो वहीं निफ्टी करीब 50 अंक की तेजी के साथ 11,920 अंक पर पहुंच गया. इस दौरान 30 शेयरों के बीएसई इंडेक्स में 26 हरे निशान पर रहे जबकि 4 शेयर में गिरावट दर्ज की गई.
बता दें कि गुरुवार को सेंसेक्स 170.42 अंकों की तेजी के साथ 40,286.48 पर और निफ्टी 30.00 अंकों की तेजी के साथ 11,870.45 पर बंद हुआ. दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स ने 40,348.61 के ऊपरी और 40,026.99 के निचले स्तर को छुआ. वहीं दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 11,895.65 के ऊपरी स्तर और 11,802.65 के निचले स्तर को टच किया.
वोडाफोन-आइडिया सबसे बुरे दौर में
शुक्रवार को कारोबार के दौरान वोडाफोन-आइडिया के शेयर भाव में ऐतिहासिक गिरावट आई और यह 3 रुपये से भी नीचे आ गया. दरअसल, वोडाफोन-आइडिया के दूसरी तिमाही के नतीजे जारी हुए हैं. इन नतीजों में वोडाफोन-आइडिया को सबसे बड़ा घाटा हुआ है.
आंकड़ों के मुताबिक वोडाफोन-आइडिया को 50,921 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यह कॉरपोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घाटा माना जा रहा है. इससे पहले टाटा मोटर्स ने अक्टूबर-दिसंबर 2018 की तिमाही में 26,961 करोड़ रुपये का तिमाही नुकसान दिखाया था. यह उस समय तक किसी भारतीय कंपनी का सबसे बड़ा तिमाही घाटा था. वोडाफोन के अलावा भारती एयरटेल को 23,045 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. हालांकि एयरटेल के शेयर में 2 फीसदी के करीब की तेजी देखने को मिल रही है.
क्यों हुआ इतना बड़ा घाटा
दरअसल, टेलिकॉम कंपनियों को नुकसान की सबसे बड़ी वजह एडजस्टेड ग्रास रेवेन्यू (एजीआर) को माना जा रहा है. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर की सरकार द्वारा तय परिभाषा को सही माना था. इसके तहत कंपनियों की दूरसंचार सेवाओं से इतर कारोबार से प्राप्त आय को भी उनकी समायोजित सकल आय का हिस्सा मान लिया गया है.
एजीआर पर कोर्ट के फैसले के बाद वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और अन्य टेलिकॉम कंपनियों पर सरकार की कुल 1.4 लाख करोड़ रुपये का बकाया बनता है. इसके चलते पूरे दूरसंचार उद्योग में घबराट का माहौल है. रिलायंस जियो के बाजार में प्रवेश करने के बाद से दूरसंचार कंपनियां वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं और उन पर अरबों डॉलर का कर्ज बकाया किसी झटके से कम नहीं है.