Breaking News

सावन का तीसरा सोमवार, ग्रहों से जुड़ी हर बाधायें होगी दूर…

आज सावन का तीसरा सोमवार है. शिव जी सृष्टि के तीनों गुणों को नियंत्रित करते हैं. शिव जी स्वयं त्रिनेत्रधारी हैं और उनकी उपासना मूल रूप से तीन स्वरूपों में ही की जाती है. भोले बाबा के तीनों स्वरूपों की उपासना करने के लिए सावन का तीसरा सोमवार सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. इस तीनों स्वरूपों की उपासना करके सावन के तीसरे सोमवार भोलेनाथ की उपासना करके मनोकामनाओं की पूर्ति की जा सकती है. शिव जी के इन स्वरूपों की उपासना अगर प्रदोष काल में करें तो सर्वोत्तम रहता है. आइए आज इस शुभ अवसर पर जानते हैं शिव जी के किस स्वरूप की पूजा करने से मिलेगा कौन सा फल-

नीलकंठ- 
यह भगवान शिव को वह स्वरुप है जिससे ग्रह नियंत्रित होते हैं. समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला तो शिव जी ने मानवता की रक्षा के लिए उस विष को पी लिया था. उन्होंने उस विष को अपने कंठ में ही रोक लिया था, जिसकी वजह से उनका कंठ नीला हो गया. उनका कंठ नीला कंठ होने के कारण, शिव जी के इस स्वरुप को नीलकंठ कहा जाने लगा.

इस स्वरुप की उपासना करने से शत्रु बाधा, षड़यंत्र और तंत्र मंत्र जैसी चीज़ों का असर नहीं होता. सावन के सोमवार को शिव जी के नीलकंठ स्वरुप की उपासना करने के लिए शिव लिंग पर गन्ने के रस की धारा चढ़ाएं. इसके बाद नीलकंठ स्वरुप के मंत्र – “ॐ नमो नीलकंठाय” का जाप करें. ऐसा करने से आपके ग्रहों से जुड़ी हर बाधा जल्द समाप्त हो जाएगी.

नटराज-
यह भगवान शिव का वह स्वरुप है जो ज्ञान, विद्या, संगीत और कला का वरदान देता है.
– शिव ने ही दुनिया में समस्त नृत्य संगीत और कला का आविष्कार किया है.
– नृत्य कला के तमाम भेद और सूक्ष्म चीजें भी शिव ने अपने शिष्यों को बताई और समझाईं हैं.
– उन्होंने ऐसे नृत्यों का सृजन किया जिसका असर हमारे मन शरीर और आत्मा पर पड़ता है.

जीवन में सुख और शांति के लिए तथा आनंद का अनुभव करने के लिए नटराज स्वरुप की पूजा की जाती है. – ज्ञान, विज्ञान, कला, संगीत और अभिनय के क्षेत्र में सफलता के लिए भी इनकी पूजा उत्तम होती है. सावन के सोमवार को घर में सफ़ेद रंग के नटराज की स्थापना सर्वोत्तम मानी जाती है, इनकी उपासना में सफ़ेद रंग के फूल अर्पित करें.

About Samar Saleel

Check Also

राम नवमी पर सरयू सलिला में स्नान का विशेष महत्व 

राम नवमी विशेष: भये प्रकट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी। हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत ...