रायबरेली। समय रहते जिम्मेदारों ने तैयारी की होती तो आज डेंगू महामारी का रूप नहीं लेता। जिले में डेंगू के मरीज दिन पर दिन बढ़ते गए। और जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे ना किसी की जांच की गई और ना ही कहीं दवा का छिड़काव किया गया। नतीजा यह हुआ कि हालात बदतर होते गए। हाईकोर्ट ने जब #डेंगू की गंभीरता को लेते हुए शासन प्रशासन से जवाब मांगा तो हर कोई सक्रिय दिखा। जिले में डेंगू के 100 से ज्यादा मरीज पाए गए हैं।
स्वास्थ्य विभाग शुरुआत से ही डेंगू के प्रति सक्रिय नही रहा। नतीजा यह हुआ कि सरकारी व निजी अस्पताल डेंगू से पीड़ित मरीजों से पटने लगे। प्रतिदिन सैकड़ों डेंगू पॉजिटिव मिलने के बाद सरकारी तंत्र की नींद खुली। मलेरिया विभाग ने भी प्रतिदिन कैंप लगाकर डेढ़ सौ से लेकर ढाई सौ तक मरीजों की एनएस-1 डेंगू की जांच शुरू की। विभाग की ओर से की जा रही जांच में प्रतिदिन डेंगू के 6-7 पॉजिटिव मरीज मिल रहे हैं।
यह सरकारी आंकड़ा है। प्राइवेट अस्पतालों व निजी पैथोलॉजी में रोज सौ से लेकर डेढ़ सौ लोग डेंगू पॉजिटिव मिल रहे हैं। हालांकि इसका कोई लेखा-जोखा विभाग के पास नहीं है।
लोगों को करना था जागरूक
डेंगू के मरीज मिलने पर होने थी मांस सेंपलिंग
रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा