• संतान प्राप्ति व पुत्र के दीर्घायु होने की की जाती है सूर्य उपासना।
• ऐसा पर्व जिसमें भगवान सूर्य अस्ताचलगामी अर्घ्य व सूर्योदय पर दी जाती है अर्घ्य।
अयोध्या। लोक आस्था एवं भगवान् सूर्य की आराधना व उपासना का महापर्व सूर्य षष्ठी तिथि से मनाया जाता है। 17 नवम्बर से प्रारंभ होकर 20 नवम्बर तक मनाया जायेगा। सालों पहले बिहार में मनाया जाता था। फिर उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के अनेकों शहरों जिलों गांवों में मनाया जाने लगा। अब यह त्यौहार उत्तर भारत के अनेक शहरों, गांवों में मनाया जाता है।
छठ पूजा का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है।17 नवंबर से इस पर्व की शुरुआत हो रही है ।जो 4 दिन तक चलेगा ।ऐसा पर्व जिसमें सूर्य अस्ताचलगामी को अर्घ्य दिया जाता है। एवं सूर्योदय पर भी अर्घ्य दिया जाता है।
लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। छठ महापर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है। छठ पूजा के दौरान भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। 17 नवंबर से इस पर्व की शुरुआत हो रही है जो 4 दिन तक चलेगा।
छठ पूजा संतान प्राप्ति के साथ साथ संतान के स्वास्थ्य, सफलता और लंबी उम्र के लिए की जाती है।एवं संतान प्राप्ति के लिए सूर्य देवता की उपासना की जाती है।
17 नवंबर को नहाया खाया के शुरुआत
छठ महापर्व की शुरुआत 17 नवंबर से नहाय खाय के साथ हो रही है. इस दिन व्रती सिर्फ एक वक्त ही भोजन करते हैं।भोजन ग्रहण से पहले भगवान सूर्य को भोग लगाया जाता है।इस दिन चने की दाल और लौकी की सब्जी बनाई जाती है। सूर्य देव की उपासना वाले भक्ति गीतों संगीत का कार्यक्रम चलता है। जिससे लोग भक्ति रस में डूब जाते हैं। काफी शुद्धता का पालन किया जाता है।
18 नवंबर को खरना
छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना किया जाता है।इस दिन व्रती उपवास रखती है और फिर शाम को मिट्टी के प्रसाद के रूप में गुड़ का खीर बनाती हैं और फिर प्रसाद को ग्रहण करती हैं. इसके बाद बाकी लोगों में भी प्रसाद को बांटा जाता है। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।
19 नवंबर को शाम का अर्घ्य
छठ पूजा के तीसरे दिन शाम में घाट पर जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।अर्घ्य देने के दौरान भगवान सूर्य को ठेकुआ और मौसम के अनुसार विभिन्न किस्म के फलों को अर्पित किया जाता है।
20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा के चौथे दिन यानी 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रत का समापन किया जाता है। सूर्य षष्ठी व्रत बहुत ही तपस्या व कठिन होता है। मान्यता है कि इस व्रत को धारण करने वाली महिलाओं को पति, पुत्र व धन, ऐश्वर्य आदि से सम्पन्नता प्राप्त होती है।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह