हमारी धरती पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। अगर इस पर अंकुश लगाने में हम कामयाब नहीं हुए तो इंसानों सहित बड़ी संख्या में जीव-जंतुओं का जीवन खतरे में पड़ सकता है। इसे लेकर 130 देशों के 11 हजार वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है। वैज्ञानिकों के अनुसार, आर्कटिक में मौजूद दुनिया का सबसे पुराना और सबसे स्थिर आइसबर्ग बहुत तेजी से पिघल रहा है। इस हिस्से को ‘द लास्ट आइस एरिया’ कहते हैं। अब यह दोगुनी गति से पिघल रहा है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, ‘द लास्ट आइस एरिया’ में 2016 में 4,143,980 वर्ग किमी में बर्फ थी, जो अब घटकर 9.99 लाख वर्ग किमी ही बची है। अगर इसी गति से यह पिघलती रही तो 2030 तक यहां से बर्फ पिघल कर खत्म हो जाएगी। यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के वैज्ञानिक केंट मूर के मुताबिक, 1970 के बाद से अब तक आर्कटिक में करीब 5 फीट बर्फ पिघल चुकी है। यानी हर 10 साल में करीब 1.30 फीट बर्फ पिघल रही है। ऐसे में समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ने की आशंका है।
आर्कटिक की बर्फ पिघलने से ग्रीनलैंड और कनाडा के आसपास का मौसम बदल जाएगा। वहां भी गर्मी बढ़ जाएगी। साथ ही इसका असर पूरी दुनिया में देखने को मिलेगा। ‘द लास्ट आइस एरिया’ में विभिन्न प्रजातियों के जीव-जंतु रहते हैं। अगर इसी गति से बर्फ पिघलती रही तो पोलर बियर, व्हेल, पेंग्विन और सील जैसे खूबसूरत जीव-जंतु खत्म हो जाएंगे। इनका दुनिया से नामोनिशान मिट जाएगा।