दो दिन बचे हैं साल 2019 गुजरने को में और इसी के साथ 21वीं शताब्दी का दूसरा दशक भी पूरा होगा। शुरू हुए इस दशक के दौरान क्रिकेट में कई करिश्मा, अद्भुत, अविश्वसनीय चीजों के साथ ही कई ऐसे परिवर्तन आए जिन्होंने इस खेल को एक अलग पहचान दी। क्रिकेट में पिछले 10 सालों में कई बदलाव हुए हैं इससे खेल में दिलचस्पी बढ़ी है। नजर डालते हैं क्रिकेट के बदलते नियमों पर.
* फ्री हिट इस नियम के अनुसार अगर कोई गेंदबाज नो बॉल फेंकता है तो उसकी अगली वाली गेंद फ्री हिट होती है मतलब बल्लेबाज रन आउट या स्टंपिंग के अलावा आउट नहीं हो सकता। यह परिवर्तन 2015 में आया और अंतरराष्ट्रीय वनडे व टी20 मैचों में लागू होता है।
* नाइट टेस्ट और गुलाबी गेंद समय के साथ 5 दिन तक चलने वाले टेस्ट मैचों को लेकर दर्शकों में रूझान कम हुआ। ऐसे में टेस्ट क्रिकेट में फिर से दिलचस्पी जगाने के लिए गेंद और खेल के समय में बदलाव किया गया।इससे डे नाइट टेस्ट का नाम दिया।
दो नई गेंद यह परिवर्तन 2011 से वनडे क्रिकेट में आया। इससे एकदिवसीय मैचों में काफी बदलाव देखने को मिला। उम्मीद थी कि दोनों छोर से दो नई गेंद के आने से खेल में काफी संतुलन आएगा और गेंदबाजों को मदद मिलेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और सफेद गेंद के फॉर्मेट में रिवस्र स्विंग लगभग खत्म हो गई।
*करीबी फील्डर की बाध्यता खत्म 2015 में यह नियम लाया गया जिससे पावरप्ले के ओवर्स में बल्लेबाज के करीब जैसे स्लिप या शॉर्ट लेग पर फील्डर लगाने की बाध्यता खत्म हो गई। इससे पहले गेंदबाजी टीम को पहले 10 ओवर के दौरान करीबी फील्डर लगाने होते थ। इस नियम से फील्डिंग कप्तान के पास ऑप्शन बढ़ गए।
*सुपर ओवर साल 2019 में आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड को बाउंड्री की गणना के आधार पर मात दी। दोनों टीमों के बीच मैच टाई था और फिर सुपर ओवर में भी बराबर रन बने। ऐसे में बाउंड्री गिनी गई और इसमें इंग्लैंड आगे रहा। इंग्लैंड ने 24 (22 चौके और 2 छक्के) बाउंड्री लगाई जबकि न्यूजीलैंड ने 17 बाउंड्री लगाई थी।इस तरह से फैसला आने पर काफी बवाल हुआ।