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त्योहारों में त्योहार दिवाली है सबसे खास

ज़िंदगी की आपाधापी में अगर खुशियों की रौनक कोई है तो हमारे त्योहार है। हर त्यौहार हमारे संघर्ष मय जीवन को खुशीयाँ और सुकून प्रदान करता है। और हमारा देश त्योहार, संस्कृति और परंपरा को मानकर चलने वाला देश है। हर त्योहार हम उत्साह और उमंग के साथ मज़े लेते हुए मनाते है। त्यौहारों में सबसे सुंदर, सबका पसंदीदा और सजीला त्यौहार दिवाली है।

नवरात्रि की धूम से तन-मन को तरोताज़ा करके हर देशवासी भगवान श्री राम के स्वागत में जूट जाते है। तथा गणेश जी और माता महालक्ष्मी को पूजा अर्चना से रिझाने की तैयारियों में लग जाते है।

दीपावली से जुड़े अन्य पांच पर्व इसे पर्वों की श्रृंखला का रूप देता है। इसकी शुरुआत कार्तिक त्रियोदश के #धनतेरस से होती है। उसके अगले दिन नरक चतुर्दशी अर्थात छोटी दिपावली और उसके अगले दिन लक्ष्मी पूजन दिवाली। दिवाली की दूसरी सुबह गोवर्धन पूजा और अंत में यम द्वितीय या भाई दूज मनाते हैं। हिन्दुओं के प्रमुख त्योहार में दीपावली सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार है।

इस त्योहार का ध्यान आते ही मन-मयूर नाच उठता है। यह त्योहार दीपों का पर्व होने से हम सभी का मन आलोकित करता है। दिवाली पर रिश्तेदारों को मेवा, मिठाई और उपहार देकर शुभकामनाएँ दी जाती है। और छोटी-बड़ी हर कंपनियों में सारे वर्कर्स को बोनस और गिफ़्ट देकर उनके पूरे साल किए हुए काम की सराहना की जाती है, ताकि कर्मचारियों का उत्साह बढ़े।

इस दिन भगवान श्री राम रावण को पराजित करके और अपना 14 साल का वनवास काटकर माता सीता तथा भाई लक्ष्मण सहित अयोध्या लौटे थे। श्री राम भगवान के आने की खुशी में अयोध्या के सभी लोगों ने घर-घर हर आँगन दिये जलाए थे। इस दिन अमावस्या की काली रात होने के बावजूद भी पूरा भारत रोशनी से जगमगाया हुआ होता है।

दीपावली का त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है बल्कि इसका सामाजिक, आध्यात्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और आर्थिक महत्व भी है। दीपावली’ संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है दीप और आवली। ‘दीप’ अर्थात ‘दीपक’ और ‘आवली’ अर्थात ‘श्रृंखला’ जिसका अर्थ हुआ दीपकों की श्रृंखला या दीपों की पंक्तियाँ।

    भावना ठाकर ‘भावु’

इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। दीपक को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है। वैदिक प्रार्थना है – ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात अंधकार से प्रकाश में ले जाने वाला और ‘दीपावली’ को भी रोशनी का उत्सव कहा जाता है। दिवाली पर गरीब हो या धनवान अपनी हैसियत के हिसाब से त्यौहार की साज-सज्जा, पटाखों और उत्सव मनाने में काफी अधिक मात्रा में धन व्यय करते हैं। अगर हम चाहे तो इन चीजों में कुछ कटौती करके या अपने पास से कुछ पैसे बचाकर कुछ गरीबों और जरूरतमंद लोगों की सहायता कर सकते है।

छोटे विक्रेताओं से सामान खरीदकर हम उनकी आजीविका बढ़ाने में मदद कर सकते है, क्योंकि हमारी तरह इन्हें भी वर्ष भर इस त्यौहार का इंतजार होता है। ताकि वे अपने द्वारा की गई तैयार वस्तुओं को बाजार में बेच सकें।इलेक्ट्रिक रोशनी की लडियों की जगह दीपों का अधिक उपयोग करके हम हमारे देश के छोटे व्यापारियों और कुम्हारों को आर्थिक रुप से सुदृढ़ बनाकर देश की अर्थव्यवस्था सुधारने में मदद कर सकते है। #दीपावली का त्योहार सभी के जीवन को खुशी प्रदान करता है। आजकल सरकार द्वारा पटाखें जलाने पर बैन लगाया जाता है तो क्या ये सही है? सोचनिय बाबत है समाज में और भी बहुत सी चीज़ें हर रोज़ प्रदूषण फैला रही है, पहले उसे बंद करने पर ध्यान देना चाहिए। त्यौहार की रोनक है पटाखें थोड़ी छूट देनी चाहिए।ये त्यौहार ही तो नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है। खुशीयाँ देता है तभी तो दिवाली को त्यौहार की रानी कहा जाता है।

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