अयोध्या। रामलला के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच रहे भक्त रामलला को निधि समर्पण भी करते हैं। जिसके चलते मंदिर निर्माण शुरू होने के कुछ ही वर्षों में राममंदिर की सालाना कमाई देश के प्रतिष्ठित मंदिरों वैष्णोदवी, शिरडी साई मंदिर व स्वर्ण मंदिर के बराबर पहुंच गई है। भक्त रामलला को दिल खोलकर दान कर रहे हैं। बीते वित्तीय वर्ष में रामलला को 363 करोड़ का दान विभिन्न माध्यमों से प्राप्त हुआ है। इस पर मिले ब्याज को मिलाकर मंदिर की सालाना आय 400 करोड़ पहुंच गई है।
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नौ नवंबर 2019 को रामलला के हक में निर्णय आने के बाद पांच अगस्त 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी ने राममंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी। जब से राममंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन शुरू हुआ उसी दिन से रामभक्तों ने निधि समर्पित करनी शुरू दी। पिछले पांच सालों में रामलला को विभिन्न माध्यमों से 55 अरब का दान प्राप्त हुआ। जबकि 13 क्विंटल चांदी और 20 किलो सोना भी मिला है। रामलला को ऑनलाइन, नगदी, चेक, आरटीजीएस के माध्यम से दान प्राप्त होता है। साथ ही विदेशी दान भी रामलला को प्राप्त होने लगा है। पिछले एक साल में करीब 15 करोड़ का विदेशी दान भी रामलला को प्राप्त हुआ है।
राममंदिर के ट्रस्टी डॉ़ अनिल मिश्र बताते हैं कि रामलला को भक्त राम जन्मभूमि सेवा केंद्र स्थित दान काउंटर पर दान अर्पित करते हैं। इसके अलावा दर्शन पथ पर दान काउंटर बने हैं। राम कचहरी स्थित मंदिर में स्थित ट्रस्ट कार्यालय पर दान लिए जाते हैं। मंदिर परिसर में रामलला के दान पात्र में भक्त चढ़ावा अर्पित करते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन माध्यमाें से भी भक्त श्रद्धा अर्पित करते हैं। राममंदिर में सभी सुविधाएं नि:शुल्क हैं। किसी भी सुविधा के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
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अक्षरधाम, सोमनाथ व जगन्नाथ मंदिर कमाई में राममंदिर से पीछे
उत्तरप्रदेश-उत्तराखंड एकोनॉमिक एसोसिएशन के अध्यक्ष व अयोध्या की अर्थव्यवस्था पर शोध कर रहे अवध विश्वविद्यालय के प्रो़ विनेाद श्रीवास्तव बताते हैं कि देश के प्रमुख मंदिरों की सालाना आय की बात करें तो सबसे आगे आंध्र प्रदेश का तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर है। इस मंदिर की सालाना आय करीब 1600 करोड़ है।
यह दान के अलावा भी आय के अन्य माध्यम हैं। इसके बाद केरल पद्मनाभस्वामी मंदिर की आय करीब 700 करोड़ सालाना है। फिलहाल राममंदिर की सालाना आय कुछ ही वर्षों में वैष्णो देवी, शिरडी साई मंदिर के बराबर पहुंच गई है। जबकि दशकों पुराने अक्षरधाम, सोमनाथ व जगन्नाथ मंदिर कमाई में पीछे हो गए हैं।