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डीएपी-यूरिया की किल्लत से किसान परेशान, पिछड़ रही बुआई, बाजार से मंहगी खाद खरीदने को होना पड़ रहा मजबूर

बिधूना/औरैया। किसानों को रबी समेत विभिन्न फसलों की बुवाई के लिए इन दिनों बड़े पैमाने पर डीएपी खाद की जरूरत है ऐसे में सहकारी समितियों पर खाद की किल्लत होने से अधिकांश प्राइवेट खाद विक्रेता डीएपी खाद की कमी होने का राग अलाप कर मनमाने मूल्य पर डीएपी व यूरिया बेचकर किसानों का सरेआम शोषण करने में जुट गए हैं। वहीं नकली व मिलावटी खाद की बिक्री किए जाने की भी आमतौर शिकायतें आ रही हैं जिससे किसान परेशान है और शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई न होने से कालाबाजारी में लिप्त दुकानदारों के हौसले बुलंद हैं। जिससे किसानों में भारी आक्रोश भड़क रहा है।

इन दिनों किसानों को आलू, सरसों, गेहूं, जौ, चना, मटर, लहसुन व सब्जी की फसलों की बुवाई व फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए डीएपी व यूरिया खाद की बड़े पैमाने पर आवश्यकता है। पर तहसील क्षेत्र की अधिकांश सहकारी समितियों पर डीएपी खाद का अकाल पड़ा हुआ है। डीएपी की इसी बढ़ी मांग और सहकारी समितियों पर डीएपी की किल्लत होने का फायदा उठा कर प्राइवेट खाद विक्रेताओं द्वारा 1350 रुपए की डीएपी की बोरी 1650 से लेकर 1700 रुपए तक में सरेआम बेची जा रही है।

यही नहीं डीएपी बोरी के साथ खाद विक्रेता किसानों को 250 से लेकर 350 तक का एक #जैविक_खाद बताकर उसका झोला भी जबरन सौंप रहे हैं। यह झोला न लेने पर यह प्राइवेट खाद विक्रेता किसानों को डीएपी देने से भी इंकार करते देखे जा रहे हैं। यही नहीं 266 रुपए मूल्य प्रति बोरी की यूरिया खाद 350 रुपए तक में सरेआम बेंची जा रही है।

गौरतलब है कि बाजार में न केवल मनमाने मूल्य पर खाद बिक्री जा रही हैl बल्कि किसानों द्वारा नकली मिलावटी खाद की बिक्री किए जाने की भी आमतौर पर शिकायतें की जा रही है। खाद विक्रेताओं द्वारा की जा रही कालाबाजारी की शिकायतें किए जाने के बावजूद संबंधित अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। जिससे खाद विक्रेता बेखौफ होकर कालाबाजारी कर किसानों के शोषण में जुटे हुए हैं।

किसान नेता प्रवीण पालीवाल, डॉ धीरेंद्र सिंह, भाकियू के जिलाध्यक्ष विपिन राजपूत व श्याम सुन्दर शाक्य आदि किसान नेताओं व पीड़ित किसानों द्वारा खाद की कालाबाजारी के संबंध में जिलाधिकारी को भी शिकायती पत्र भेजा जा चुका है। किंतु इसके बावजूद आज तक कालाबाजारी पर अंकुश नहीं लग सका है। जिससे शोषण से आजिज किसानों में कृषि विभाग के अधिकारियों के प्रति नाराजगी दिख रही है।

किसान बोले

पसुआ गांव के किसान अनिरुद्ध कुमार सिंह व उड़ेलापुर के किसान मोहित सिंह का कहना है कि डीएपी व यूरिया खाद के लिए बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डीएपी खाद लेने के लिए भूखे प्यासे घंटो लाइन में लगने के बाद भी पर्याप्त डीएपी नहीं मिल पा रही है। इससे रबी फसलों की बुवाई का कार्य भी प्रभावित रहा है।

पुर्वा पीताराम के किसान रमेश चंद्र राजपूत व लाल सिंह ने बताया कि समितियों पर खाद नहीं मिल रही है। निजी दुकानदार आधारकार्ड से खाद की बोरी लेने पर पर्ची नहीं दे रहे है। वहीं खाद में मिलावट का खतरा भी बना हुआ है। खाद की कालाबाजारी चर्म पर है। फिर भी प्रशासन कोई सुध नहीं ले रहा है। किसानों को बुवाई का कार्य छोड़ डीएपी खाद के लिए दौड़ लगानी पड़ रही है।

रूरूकलां के किसान कुलदीप यादव व बिजौड़ा के किसान मान सिंह शाक्य ने बताया कि किसानों को पानी व खाद के लिए हर बार संघर्ष करना पड़ता है। सहकारी समिति पर खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होती तो, बाजार से अधिक मूल्य पर लेनी पड़ती है। सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।

इस संबंध में पूछे जाने पर जिला कृषि अधिकारी ने कहा है कि खाद की #कालाबाजारी का मामला फिलहाल उनके संज्ञान में नहीं है। यदि शिकायतें मिलेंगी तो जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। किसी भी कीमत पर खाद की कालाबाजारी नहीं होने दी जाएगी। वैसे नकली मिलावटी खाद की बिक्री व कालाबाजारी के विरुद्ध लगातार छापामारी अभियान भी चलाया जा रहा है।

रिपोर्ट – संदीप राठौर चुनमुन/राहुल तिवारी

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