काठमाडू/लखनऊ। राष्ट्र के भाव, प्रण और मानक एक नागरिक को सदैव चैतन्य और गतिमान रखते हैं, और यही चैतन्यता कर्तव्य भाव का बोध कराती है। इसका उदाहरण काठमांडू हवाईअड्डे पर लखनऊ विश्वविद्यालय के शिष्टमंडल के व्यवहार में दिखा। तीन दिवसीय प्रवास और गहन शिक्षा संपर्क, संगोष्ठी और संवाद करके वापस आते समय लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक कुमार राय एवं अन्य सदस्यों ने कुछ अन्य भारतीय नागरिकों के साथ एक अनौपचारिक संवाद किया और भारत सरकार द्वारा मनाए जाने वाले स्वच्छता पखवाडे के प्रति जागरूक किया।
कुलपति आलोक राय बताते हैं कि हमारा स्वयं क्रिया का दर्शन और परंपरा हमे सामाजिक और वैश्विक जिम्मेदारी का बोध कराती है और सतत, सृजनात्मक और उत्तरदाई शिक्षा का यही मूल है। शिक्षा का उद्देश्य और मंतव्य जब तक सामाजिक सरोकारों से नही जुड़ता तब तक यह सिर्फ मशीनी मानव ही बनती है।
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एक आदर्श शिक्षा हमे ऐसे आचरण हेतु संकल्पित एवं प्रेरित करती है, जहां हम दर्शन को व्यवहार में लाने हेतु अपना फलक स्वयं निर्मित कर लेते हैं। कई प्रदेशों एवं अन्य भागों से आए यात्रियों ने भी संवाद में शामिल होकर इसे सार्थक और प्रभावी बनाया। यह भ्रमण काफी व्यापक और सार्थक रहा।इस तीन दिवसीय प्रवास और संवाद कार्यक्रम के दौरान कई विश्वविद्यालयों के साथ समझौते हुए। इन कार्यक्रमों में शामिल होने हुए दूतावास के उच्च अधिकारियों, सांसद, जनप्रतिनिधियों एवं शिक्षक, शोधार्थियों से भी चर्चा की गई।