New Delhi। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस (Governor CV Anand Bose) ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर राज्य के 17 सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की सिफारिश पर आपत्ति जताई है। राजभवन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि राज्यपाल, जो सभी सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति हैं, ने कुलपति पद के लिए उम्मीदवारों की सूची पर अपना विरोध शीर्ष अदालत को बताया, जिसमें उनकी पृष्ठभूमि की गहन समीक्षा की गई है।
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क्या है पूरा मामला?
राज्य सरकार ने 36 विश्वविद्यालयों में उप-कुलपति नियुक्ति के लिए नाम भेजे थे। इनमें से 19 नामों को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है, लेकिन बाकी 17 नामों पर उन्होंने सवाल उठाए हैं। उन्होंने इन नामों की पृष्ठभूमि, योग्यता और अन्य जानकारियों की गहराई से जांच की और कुछ विश्वसनीय स्रोतों से भी जानकारी मंगाई। जांच के बाद, राज्यपाल ने पाया कि कुछ उम्मीदवार उपयुक्त नहीं हैं, इसलिए उन्होंने कोर्ट में आपत्ति दर्ज की।’
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही थी, जिसका केस नंबर था, ‘विशेष अनुमति याचिका (सी) संख्या 17403/2023; पश्चिम बंगाल राज्य बनाम डॉ. सनत कुमार घोष एवं अन्य’। इस दौरान कोर्ट को यह जानकारी नहीं दी गई थी कि राज्यपाल ने 17 नामों पर आपत्ति जताई है और इसकी रिपोर्ट एक सीलबंद लिफाफे में तैयार कर ली गई है।
क्योंकि यह मामला अचानक सूची में शामिल हुआ, इसलिए भारत के अटॉर्नी जनरल कोर्ट में मौजूद नहीं थे। अगर वे होते तो राज्यपाल की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जा सकती थी। राज्यपाल के वकील ने कोर्ट को बताया कि 36 में से 19 नाम पहले ही मंजूर किए जा चुके हैं, और बाकी नामों पर विचार चल रहा है।
कोर्ट का क्या रुख रहा?
कोर्ट ने यह नहीं कहा कि राज्यपाल को कोई अल्टीमेटम दिया जा रहा है या उनके अधिकार छीने जा रहे हैं। बल्कि, कोर्ट ने पूरी छूट दी है कि राज्यपाल अपनी समझ और विवेक से निर्णय लें। हालांकि, कोर्ट ने यह जरूर कहा है कि अगर दो हफ्तों में इन 17 नामों पर कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो अगली सुनवाई में कोर्ट इस मुद्दे पर कोई ठोस फैसला ले सकता है।