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मानव तस्करी नेटवर्क के तीन सदस्यों के खिलाफ इंटरपोल रेड नोटिस! नौकरी के बहाने करते थे रूसी सेना में भर्ती

नई दिल्ली। भारतीय को रूस-यूक्रेन युद्ध जोन में धकेलने के लिए मानव तस्करी करने वाले नेटवर्क के तीन सदस्यों के खिलाफ सीबीआई इंटरपोल रेड नोटिस जारी करेगी। केंद्रीय जांच एजेंसी साजिश का पर्दाफाश करने के लिए हवाला ऑपरेटर रमेश कुमार, पलानीसामी, मोहम्मद मोइनुद्दीन चिप्पा और फैसल अब्दुल मुतालिब खान से हिरासत में पूछताछ करना चाहती है।

दरअसल, इंटरपोल रेड नोटिस 196 सदस्य देशों की कानून पवर्तन एजेंसियों से आत्मसमर्पण या कानूनी कार्रवाई के लिए लंबित किसी व्यक्ति का पता लगाने और उसे गिरफ्तार करने का एक अनुरोध है।

मानव तस्करी नेटवर्क के तीन सदस्यों के खिलाफ इंटरपोल रेड नोटिस! नौकरी के बहाने करते थे रूसी सेना में भर्ती

बता दें कि मार्च में सीबीआई ने मानव तस्करी के एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया था। ये भारतीयों को विदेशों में नौकरी देने का लालच देकर उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में लड़ने के लिए भेज रहे थे।

केंद्रीय एजेंसी ने 24×7 आरएएस ओवरसीज फाउंडेशन, केजी मार्ग और इसके निदेशक सुयश मुकुट, ओएसडी ब्रोस ट्रैवल्स एंड वीजा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, मुंबई और इसके निदेशक राकेश पांडे, एडवेंचर वीजा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, चंडीगढ़, पंजाब और इसके निदेशक मंजीत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

यूट्यूब चैनल के जरिए देता था नौकरी का लालच

सीबीआई ने बताया कि दुबई में रहने वाले फैसल अब्दुल मुतालिब खान ने अपने यूट्यूब चैनल के जरिए भारतीयों को रूसी सेना में सुरक्षा गार्ड या सहायक के रूप में नौकरियां देने और इसी के साथ मोटा वेतन उपलब्ध कराने का वादा करता था।

इसके बाद इच्छुक लोगों को उसने मोहम्मद सुफियान और पूजा का नंबर दिया। ये दोनों पीड़ितों से सुफियान, मोइनुद्दीन चिप्पा और सादिक चिप्पा के खाते में पैसे जमा करने के लिए कहते और उनके पासपोर्ट को कॉस्मो ट्रैवल्स प्राइवेट लिमिटेड के पास जमा करवाते थे। कॉस्मो ट्रैवल्स पर्यटकों के लिए वीजा उपलब्ध करवाता था।

तीन पीड़ितों को चेन्नई एयरपोर्ट पर बुलाया गया था, जहां उन्हें पासपोर्ट दिया गया। उन्हें निजिल जोबी बेन्सम और रमेश कुमार पलानीसामी का नंबर दिया गया। ये दोनों ही मॉस्को में रहते थे। पीड़ितों को ये दोनों आरोपी रूस में घर उपलब्ध कराते थे। इन पीड़ितों से रूसी सेना के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाने के बाद उन्हें युद्ध क्षेत्र में भेज दिया जाता था। एजेंसी को युवाओं को नौकरी का लालच देकर युद्ध क्षेत्र में भेजने के 35 मामले मिलें।

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