देश में तीन तलाक मामले को लेकर चर्चा में आई इशरत जहां एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हालांकि इस बार तीन तलाक से नहीं बल्कि वह अपने राजनीतिक गलियारे में बढ़ाए हुए कदम को लेकर चर्चा में हैं।
इशरत ने किस पार्टी का थामा हाथ और क्यों लड़ी तलाक के खिलाफ लड़ाई इसके पीछे उनके जीवन से जुड़ी कहानी है।
मुर्तजा से 2001 में हुआ निकाह
इशरत जहां मूल रूप से बिहार की रहने वाली हैं। वहीं पर 2001 में इनका निकाह मुर्तजा अंसारी के साथ हुआ था।
निकाह के कुछ दिन बाद ये दोनों हावड़ा में आकर रहने लगे। निकाह के बाद सब सामान्य चल रहा था। इशरत के पति मुर्तजा अंसारी दुबई में नौकरी करने चले गए।
पति ने फोन पर दिया था तलाक
इसके बाद इशरत को लगातार तीन बेटियां हुईं। परिवार वालों में बेटे की चाहत थी और उसे परेशान करने लगे। पति को भी फोन पर भड़काते थे।
इसके बाद इशरत की खुशियां उस समय काफूर हो गई जब उसके पति ने उसे फोन पर ही तीन बार तलाक बोलकर अपना रिश्ता खत्म कर लिया।
नहीं हारी हिम्मत
हालांकि इसके लिए लाख परेशानियों के बाद भी इशरत जहां ने हिम्मत नहीं हारी। उसने अपने जैसी तमाम मुस्लिम महिलाओं के दर्द को बेहद करीब से महसूस किया।
2015 में इशरत ने एक निचली अदालत में केस डाला इसके बाद उन्होंने 2016 सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया
इशरत जैसी महिलाओं की हिम्मत से बीते साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए बिद्दत यानी तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।
सरकार ने मुस्लिम महिला विधेयक-2017 को हाल ही में लोकसभा में पास भी करवा लिया है। बस राज्य सभा में पास होने का इंतजार है।
इशरत का भाजपा में गर्मजोशी से स्वागत
इशरत जहां अगस्त 2016 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद से सुर्खियों में हैं। 30 साल की इशरत जहां ने अपना रुख राजनीति की ओर कर दिया और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई हैं।
हावड़ा स्थित बीजेपी कार्यालय में पार्टी में शामिल होने पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया।