अयोध्या। शारदीय नवरात्र के पहले दिन रामनगरी स्थित देवी मंदिरों में श्रध्दालु दर्शन पूजन कर रहे हैं। शाक्त परम्परा के देवी मंदिरों के अलावा वैष्णव परम्परा के मंदिरों में कलश स्थापना के साथ नौ दिवसीय अनुष्ठान का श्रीगणेश हो गया। देवी मंदिरों में जहां दुर्गा सप्तशती का पारायण शुरू हुआ।
वहीं श्री रामलला व हनुमानगढ़ी सहित सभी वैष्णव मंदिरों में श्रीरामचरितमानस का नवाह्न पारायण भी शुरू हो गया है। नवरात्रि को लेकर भगवान श्रीराम की कुलदेवी कहलाने वाली मां बड़ी देवकाली के अलावा अयोध्या नगर के छोटी देवकाली सहित विभिन्न देवी मंदिरों सुबह से ही श्रद्धालु पूजा अर्चना कर रहे हैं। मां दुर्गा के पूजन महोत्सव के लिए पंडाल भी सजने लगे हैं।जो परम्परा के अनुसार भव्य आयोजन होंगे।
भक्त नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा कर रहे है। महंत सुनील पाठक के अनुसार पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या थीं, तब इनका नाम सती था। इनका विवाह भगवान शंकर से हुआ था।
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प्रजापति दक्ष के यज्ञ में सती ने अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती और हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद की एक कथा के अनुसार, इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व- भंजन किया था। नवदुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री का महत्व और शक्तियां अनन्त हैं। नवरात्र पूजन में प्रथम दिन इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है।
कुल देवता व कुलदेवी का है महत्वपूर्ण स्थान
जैसा कि हिंदू धर्म में कुलदेवी या कुलदेवता का महत्वपूर्ण स्थान है।ज्यादातर लोगों में कुलदेवी या कुलदेवता को पूजने की परंपरा है। जिनके भी कुलदेवी या कुलदेवता होते हैं। वे पीढ़ी दर पीढ़ी उनकी पूजा करते आ रहे हैं।मान्यता है कि कुलदेवी या कुलदेवता के रुष्ट होने पर परिवार पर कई तरह के संकट आने लगते हैं. अगर कुलदेवी या देवता प्रसन्न हैं तो परिवार में सुख एवं शांति बनी रहती है. इसलिए सभी लोग अपने अपने कुलदेवी और देवता की पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा करते आ रहे हैं।
भगवान राम की कुलदेवी
कहा जाता है कि अपनी कुलदेवी के आशीर्वाद से ही प्रभु श्रीराम ने लंका पर विजय हासिल की थी। भगवान राम की कुलदेवी की आज भी लोग पूजा करते हैं। नवरात्रि के अवसर पर भगवान राम की कुलदेवी का भव्य दरबार सजाया जाता है। काकभुशुण्डि ने गरुड़ को सुनाई थी।
अयोध्या में स्थित है भगवान राम की कुलदेवी का मंदिर
मां बड़ी देवकाली भगवान श्रीराम की कुलदेवी मानी जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार मां बड़ी देवकाली के मंदिर का निर्माण भगवान राम के पूर्वजों ने कराया था। बड़ी देवकाली मंदिर के गर्भगृह में तीनों देवियां, मां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती विराजमान हैं. कहा जाता है भगवान राम के पूर्वज महाराज रघु अपनी कुलदेवी बड़ी देवकाली के तीनों रूपों की पूजा अर्चना किया करते थे।
धार्मिक मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था तब नन्हे बालक के रूप में भगवान श्री राम के साथ उनकी माता कौशल्या ने अपनी कुलदेवी बड़ी देवकाली के मंदिर में उनके तीनों रूपों की पूजा अर्चना की थी। भगवान श्रीराम की कुलदेवी बड़ी देवकाली का प्राचीन मंदिर आज भी बहुत प्रसिद्ध है। दूर दूर से यहां लोग मां के दर्शनों के लिए आते हैं।माना जाता है मां बड़ी देवकाली के मंदिर में आकर जो भी मनोकामना मांगी जाती है वो मां बड़ी देवकाली की कृपा से पूर्ण होती। श्रद्धालु अपनी मनोकामना माता देवकाली पूर्ण होने की अर्चना करते हैं। मनोकामनाएं पूर्ण भी होतीं हैं।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह