लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) में ‘माय फर्स्ट सैलरी’ (First Salary) शीर्षक वाली एक नई रिपोर्ट (New Report) का विमोचन हुआ। इस रिपोर्ट को कुलपति प्रो आलोक कुमार राय (VC Pro Alok Kumar Rai) ने रेडिफ्यूजन के चेयरमैन एवं एफएमएस, दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संदीप गोयल, मैडम नीतिका और प्रो पीके सिंह के साथ मिलकर प्रस्तुत किया। यह रिपोर्ट भारत लैब (Bharat Lab) द्वारा तैयार की गई है, जो लखनऊ विश्वविद्यालय और रेडिफ्यूजन का एक संयुक्त सांस्कृतिक-व्यवहारिक थिंक टैंक है।
यह रिपोर्ट LUMBA (लखनऊ विश्वविद्यालय के MBA छात्रों) और आसपास के टियर 3 कस्बों के युवाओं पर आधारित एक व्यापक सर्वेक्षण पर आधारित है। रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत के युवाओं के लिए पहली सैलरी केवल आर्थिक नहीं बल्कि एक भावनात्मक और सांस्कृतिक यात्रा है। यह स्वतंत्रता, पारिवारिक मूल्यों और आत्मसम्मान का प्रतीक है।
इस अवसर पर कुलपति प्रो आलोक कुमार राय ने कहा कि शोध को राष्ट्र की धड़कनों को प्रतिबिंबित करना चाहिए। भारत लैब इस सोच का सजीव उदाहरण है। यह रिपोर्ट केवल अर्थशास्त्रियों के लिए नहीं, बल्कि माता-पिता, नीति-निर्माताओं और हर युवा के लिए है जो आर्थिक स्वतंत्रता की दहलीज पर खड़ा है।
रिपोर्ट की मुख्य झलकियाँ
• 38.8% युवाओं ने अपनी पहली सैलरी से परिवार को उपहार दिए, कृतज्ञता प्रमुख भावना रही।
• 24.5% ने पहली आय को बचाया। यह आर्थिक दूरदर्शिता का संकेत।
• 20.4% ने धार्मिक या सामाजिक कार्यों में दान किया। यह युवा पीढ़ी की सामाजिक चेतना को दर्शाता है।
• 88.5% महिलाओं ने अपनी पहली सैलरी को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का प्रतीक बताया।
• 44.6% युवाओं ने अपनी सैलरी की जानकारी सबसे पहले अपनी मां को दी।
रिपोर्ट बताती है कि भारत के युवा अब पारंपरिक SIP (Systematic Investment Plan) की बजाय लचीले और व्यक्तिगत निवेश मॉडलों को पसंद कर रहे हैं। 76% युवा जब संभव हो तब निवेश के सिद्धांत पर चल रहे हैं और अपने निवेश को व्यक्तिगत लक्ष्यों से जोड़ रहे हैं जैसे—’गोवा 2026′ या ‘ड्रीम बाइक’।
डॉ संदीप गोयल के अनुसार वे बचत करना चाहते हैं, लेकिन बंधन में नहीं रहना चाहते। यह व्यक्तिगत वित्तीय योजना है, न कि सिर्फ गणना।