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महात्मा गांधी का स्मरण


सत्य अहिंसा सत्याग्रह द्वारा आक्रांताओं से मुक्ति का विचार विलक्षण था। महात्मा गांधी ने इसका सफल प्रयोग करके दुनिया को आश्चर्य चकित कर दिया था। क्योंकि वह विदेशी इस विचार की कल्पना भी नहीं कर सकते थे। महात्मा गांधी के विचार भारत तक ही सीमित नहीं थे। उनके चिंतन में सम्पूर्ण मानवता समाहित थी। सर्वधर्म समभाव का सन्देश था। उन्होंने जो कहा उस पर अमल भी किया। कथनी करनी में कोई अंतर नहीं था। लालबहादुर शास्त्री ने भी उनकी सादगी, ईमानदारी से प्रेरणा ली,और आजीवन इसी मार्ग पर चलते रहे। दो अक्टूबर को लखनऊ में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि बापू की शिक्षाएं आदर्श राष्ट्र के निर्माण में प्रकाश स्तम्भ के समान हैं। उनके दिखाये मार्ग पर चलकर हम आत्मनिर्भर बन सकते हैं। महात्मा गांधी से प्रेरित होकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य निर्धारित किया है। वोकल फाॅर लोकल का नारा इसी के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि गांधी जी के मार्ग का अनुसरण करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गांधी जी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले थे। इन्हें अपनाने से पूरे विश्व में शान्ति और सद्भाव स्थापित होगा,जिसकी आज बहुत आवश्यकता है। उनकी शिक्षा का अनुसरण ही गांधी जी के प्रति हम सभी की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

सत्य और अहिंसा के माध्यम से महात्मा गांधी के नेतृत्व में चला भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन विश्व के इतिहास में विलक्षण है। गांधी जी ने अपना पूरा जीवन देश और मानव सेवा में व्यतीत किया। चरखे, खादी और स्वदेशी के माध्यम से उन्होंने स्वावलम्बन और श्रम की गरिमा को रेखांकित किया। महात्मा गांधी का मानना था कि साफ सफाई,ईश्वर की आराधना के समान है। इसलिए उन्होंने लोगों को स्वच्छता अपनाने की शिक्षा दी। वर्तमान सरकार गांधी जी के स्वच्छ भारत के स्वप्न को साकार करने के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप सम्पूर्ण प्रदेश में स्वच्छता के व्यापक प्रसार में उल्लेखनीय सफलता मिली है।

विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने भारतीय संस्कृति, दर्शन,परम्परा, इतिहास, संघर्ष, आदर्श को सारी दुनिया के सामने भारत के मन का चित्रण किया वहीं शास्त्री जी सच्चे गान्धीवादी थे। उन्होंने अपना सारा जीवन सादगी से व्यतीत करते हुए स्वयं को गरीबों की सेवा में लगाया। देशसेवा का व्रत लेते हुए अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के आन्दोलनों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही।

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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