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Lucknow Metro ने रिकॉर्ड समय में बनाई सुरंग

लखनऊ। लखनऊ मेट्रो Lucknow Metro रेल कॉर्पोरेशन (एलएमआरसी) की टनल बोरिंग मशीनें (टीबीएम) ने गंगा और गोमती ने आज एक साथ अपने तीसरे और आखरी पड़ाव को पूरा करते हुए चारबाग और हुसैनगंज के बीच भूमिगत मेट्रो सुरंग बनाने का कार्य पूरा कर एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया। इससे पहले, इन दोनों टीबीएम ने सचिवालय – हजरतगंज और सचिवालय-हुसैनगंज के बीच रिकॉर्ड समय में सुरंग बनाने का कार्य पूरा किया था।

Lucknow Metro रेल परियोजना

लखनऊ Metro रेल परियोजना के चरण 1-ए के भूमिगत मेट्रो सुरंग का कार्य 3.67 किमी लंबी चारबाग-हजरतगंज के बीच का काम तकरीबन 15 महीनों के रिकॉर्ड समय में जो कि तय समय सीमा से दो महीने पहले पूरा हुआ ,आज अपने आप में ऐतिहासिक हो गया। एलएमआरसी ने 18 जनवरी, 2017 को सचिवालय से अपनी पहली भूमिगत (टनल) ड्राइव शुरू की थी और चारबाग से हजरतगंज के बीच 3.67 किमी लम्बी मेट्रो सुरंग को जून, 2018 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। यद्यपि, इस लक्ष्य को इस तय समय सीमा से 2 महीने पहले ही पूरा कर लिया गया।

निर्धारित शेड्यूल से दो महीने पहले

सुरंग बनाने के कार्य को व्यापक तकनीकी और चुनौतीपूर्ण चुनौतियों के बावजूद निर्धारित शेड्यूल से दो महीने पहले पूरा किया गया। एलएमआरसी और इसकी कार्यदायी संस्था गुलर्मक-टीपीएल जे०वी के इंजीनियरों के लिए भी एक बहुत सुखद अनुभव वाला पल है।यह वास्तव में सुरंग निर्माण के कार्य से जुड़े सभी इंजीनियरों और अधिकारियों की पूरी टीम के एक लिए बड़ी जीत और गर्व का क्षण है जो कि शहर की भोगौलिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच में 3.67 किमी लम्बे निर्माण कार्य को दो टनल की मदद से तकरीबन पंद्रह महीने में ही सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया।

कई इंजीनियरिंग चुनौतियाॅ सामने आई

टनल बोरिंग मशीन के द्वारा लखनऊ शहर के बीचोबीच सुरग बनाने के कार्य को करने में कई विशाल इंजीनियरिंग चुनौतियाॅ सामने आई क्योंकि शहर के बीच का यह मार्ग अत्यधिक घिरे क्षेत्रों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के बीच बना है। इस तकनीकी चुनौती की विशालता को समझते हुए इस परियोजना पर काम करने वाले के लिए इंजीनियरों ने सावधानी पूर्वक सुरंग संचालन में शामिल हर कदम की योजना बनाई। चारबाग से हुसैनगंज तक अंतिम ड्राइव सबसे चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि इसमें टीबीएम को हैदर कैनाल नहर के स्तर से केवल 1मीटर नीचे से ले जाया गया जहाॅं कैनाल की कमजोर नींव पर जलीय झोपड़ियों के साथ अत्यधिक आबादी और आसपास वाले इलाके शामिल थे।]

रिपोर्ट: आशीष मौर्या

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