लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीस मंसूरी ने भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 के लिए एक विस्तृत पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने विशेष रूप से पसमांदा मुसलमानों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक विकास को प्राथमिकता देने वाले सुझाव दिए हैं।
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अनीस मंसूरी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत का शिक्षा पर वर्तमान व्यय सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 2.9% है, जो वैश्विक मानकों से काफी कम है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप शिक्षा बजट को जीडीपी के 6% तक बढ़ाने की अपील की। उन्होंने शिक्षा के निजीकरण पर रोक लगाने और इसे प्रत्येक नागरिक के लिए सुलभ बनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
श्री मंसूरी ने आईआईएम, आईआईटी, एनआईटी और मेडिकल कॉलेजों जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की फीस में कमी का सुझाव दिया, जिससे ये संस्थान आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए भी सुलभ हो सकें। उन्होंने छात्रवृत्ति योजनाओं की संख्या और राशि दोनों बढ़ाने की सिफारिश की और उच्च शिक्षा संस्थानों में बुनियादी ढांचे, प्रयोगशालाओं, पुस्तकालयों, और डिजिटल पुस्तकालयों के विकास के लिए अधिक धनराशि आवंटित करने की मांग की।
उन्होंने अनुसंधान और फेलोशिप अनुदान में पर्याप्त वृद्धि के साथ-साथ पसमांदा तबके के लोगों के लिए योग्यता-आधारित छात्रवृत्ति योजनाओं का विस्तार करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। श्री मंसूरी ने पसमांदा मुसलमानों और अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्रों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और ग्रामीण इलाकों में नए स्कूल खोलने का आह्वान किया।
पसमांदा मुसलमानों के पारंपरिक शिल्प और कौशल के विकास के लिए, जैसे भदोही में कालीन बुनाई, मुरादाबाद में धातुकर्म, और बीदर में बिदरी कला, सीतापुर के दरी, अलीगढ के ताले आदि, मंसूरी ने अनुसंधान और शिक्षा के लिए समर्पित विश्वविद्यालयों की स्थापना और इन क्षेत्रों में कौशल-आधारित डिप्लोमा व डिग्री पाठ्यक्रम शुरू करने की सिफारिश की।
अनीस मंसूरी ने पसमांदा मुसलमानों के क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए, उन्होंने विशेष शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम और परामर्श केंद्रों की स्थापना पर जोर दिया। पसमांदा मुस्लिम लड़कियों के लिए छात्रावास निर्माण और अल्पसंख्यक बाहुल्य जिलों में आधुनिक सुविधाओं के साथ मदरसों को उन्नत करने की आवश्यकता को भी प्राथमिकता दी। उन्होंने उर्दू माध्यम के स्कूलों के लिए विशेष बजट आवंटन और तकनीकी सुधार का भी प्रस्ताव रखा।
अनीस मंसूरी ने पसमांदा मुसलमानों की शैक्षिक स्थिति का आकलन करने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और कॉलेज से स्नातक करने वाले मुस्लिम छात्रों के लिए एक विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू करने की सिफारिश की। अनीस मंसूरी ने वित्त मंत्री से आग्रह किया कि इन सुझावों को केंद्रीय बजट 2025-26 में शामिल किया जाए, जिससे न केवल अल्पसंख्यक समुदायों की शैक्षिक प्रगति होगी, बल्कि उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा। उन्होंने कहा कि यह कदम समाज के उपेक्षित वर्गों के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा।
रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी