झारखंड के पहले मुख्यमंत्री सीनियर नेता बाबूलाल मरांडी सोमवार को 14 साल बाद अपनी पुरानी पार्टी बीजेपी में शामिल हो गए. इसके साथ ही उनकी मौजूदा पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम) का भी भारतीय जनता पार्टी में विलय कर लिया. इसके लिए उनकी पार्टी की केंद्रीय समिति ने मंजूरी की औपचारिकता पूरी कर ली थी.
राजधानी रांची में धुर्वा स्थित प्रभात तारा मैदान में आयोजित विलय समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और उपाध्यक्ष ओम माथुर भी मौजूद रहे. इस समारोह में मरांडी के साथ उनके 20 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं भी बीजेपी में शामिल हुए. इसके बाद उनका चुनाव चिन्ह कंघी से बदलकर फिर कमल हो गया है.
मरांडी के बीजेपी में आने के बाद उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. हालांकि उन्होंने कहा है कि वे एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में बीजेपी में शामिल हुए हैं. उन्हें पद की कोई लालसा नहीं है. उनकी पार्टी के नेता और समर्थकों में भी बीजेपी में आने को लेकर जोश है. करीब तीन हफ्ते पहले रांची में मरांडी ने जेवीएम की नई कार्यकारिणी बनाई थी. इसमें अपने पसंद के लोगों को महत्वपूर्ण पद पर बिठाए थे. जो उनके इस विलय के फैसले के साथ थे.
बीजेपी ने भी अपने सभी सांसदों-विधायकों और पदाधिकारियों को कार्यक्रम में शामिल होने को कहा था. बीजेपी को झारखंड में एक अदद आदिवासी चेहरे की तलाश थी. अब उसको बाबूलाल मरांडी के रूप में एक ऐसा नेता मिल गया है जिसकी जड़ें संघ से जुड़ी हैं. साथ ही उन्हीं के पूर्व नेता भी हैं. इसके अलावा मरांडी झारखंड की राजनीति के पुराने और जाने-माने नाम भी हैं.
बाबूलाल मरांडी ने साल 2006 में बीजेपी में मतभेद होने के बाद सदस्यता से इस्तीफा देकर अपनी अलग पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन कर लिया था. बीजेपी से अलग होने के बाद मरांडी ने तीन बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा चुनाव लड़ा.
जेवीएम के प्रधान महासचिव अभय सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी का बीजेपी में विलय ऐतिहासिक है. इसमें शामिल होने के लिए पंचायत स्तरीय कार्यकर्ता आएंगे. उन्होंने कहा कि झारखंड को संवारने और राष्ट्रवाद को मजबूती देने के लिए पार्टी कार्यकर्ता नए उत्साह का संदेश लेकर रांची से लौटेंगे.