चेन्नई: कांचीपुरम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हाल ही में ‘इंडिया पोस्ट’ को आदेश दिया कि वह एक उपभोक्ता को 50 पैसे वापस करे और उसे मानसिक पीड़ा देने, अनुचित व्यापार व्यवहार और सेवा में कमी के लिए 10 हजार रुपये का मुआवजा दे। इसके अलावा मुकदमेबाजी के लिए 5,000 रुपये का भी भुगतान करे। यह मामला तब हुआ, जब उपभोक्ता माणशा ने पिछले साल 13 दिसंबर को पोझिचलूर पोस्ट ऑफिस में एक पंजीकृत पत्र के लिए 30 रुपये नकद दिए। लेकिन रसीद में सिर्फ 29.50 रुपये ही दिखाए गए।
माणशा ने बताया कि उन्होंने यूपीआई के जरिए सही राशि जमा करने की कोशिश की थी। लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण पोस्ट ऑफिस के कर्मचारियों ने इसे स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि लाखों का लेन-देन रोजाना होता है और इनका सही ढंग से हिसाब न रखने से सरकार को नुकसान पहुंच सकता है। माणशा ने कहा कि इस स्थिति ने उन्हें गंभीर मानसिक पीड़ा का सामना करने के लिए मजबूर किया।
इंडिया पोस्ट ने डिजिटल भुगतान नहीं किया था स्वीकार
इंडिया पोस्ट ने अपने बचाव में कहा कि तकनीकी समस्याओं के कारण उस समय डिजिटल भुगतान स्वीकार नहीं किया गया था। इसलिए नकद लिया गया। उसने यह भी कहा कि 50 पैसे की राउंडिंग पोस्ट सॉफ्टवेयर द्वारा ऑटोमैटिकली किया गया था।
आयोग ने 50 पैसे लौटाने का आदेश दिया
हालांकि, उपभोक्ता आयोग ने सुनवाई के बाद कहा कि पोस्ट ऑफिस द्वारा अतिरिक्त पचास पैसे लेना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत असमान व्यापार प्रथा का उदाहरण है। आयोग ने इंडिया पोस्ट को उपभोक्ता को पचास पैसे लौटाने का आदेश दिया। इसके अलावा, उसे मानसिक पीड़ा देने के लिए 10 हजार रुपये का मुआवजे के साथ-साथ 5,000 रुपये कानूनी खर्च के रूप में देने का आदेश दिया।