लखनऊ। नवयुग कन्या महाविद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग में एक दिवसीय कार्यशाला महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय के निर्देशन में विभागाध्यक्ष शिक्षा शास्त्र ऐश्वर्या सिंह के संयोजकत्व में आयोजित हुई। कार्यशाला “हाऊ टू डू टर्म पेपर/इन्टर्नशिप/माइनर प्रोजेक्ट” विषय पर आधारित थी, जो नयी शिक्षा नीति पर आधारित स्नातक तृतीय वर्ष की पंचम सत्र की तथा स्नातकोत्तर छात्राओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी था।
कार्यशाला का प्रारंभ प्राचार्या एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ प्रारंभ किया गया। इस कार्यक्रम की प्रथम विशिष्ट वक्ता एसोसिएट प्रोफेसर शिक्षा शास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय की डॉ आकांक्षा सिंह ने टर्म पेपर कैसे लिखना चाहिए इस पर अपना विचार प्रस्तुत किया।
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उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम विषय का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए परिचय, उस क्षेत्र का विशेष अध्ययन करके पाठ्य विभाजन कर विभिन्न स्रोतों का सहारा लेना चाहिए त्रुटियों से बचना चाहिए तथा सभी पढ़े गये स्रोतो का संदर्भ अवश्य देना चाहिए। द्वितीय विशिष्ट वक्ता नारी शिक्षा निकेतन पीजी कालेज लखनऊ की समाजशास्त्र विभाग की प्रोफेसर सुनीता कुमार द्वारा अपने उद्बोधन में इन्टर्नशिप पेपर लिखने की समुचित विधि पर प्रकाश डाला गया।
उन्होंने कहा कि इंटर्नशिप करके विशिष्ट ज्ञान एवं विशिष्ट नेटवर्क हम विकसित कर सकते हैं जिससे व्यक्तित्व विकास, कौशल विकास तथा स्वरोजगार बढ़ाने में सहायक होगा जिससे कि देश का समावेशी सतत् विकास संभव होगा।
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इन्टर्नशिप के माध्यम से फील्ड वर्क,कम्युनिटी वर्क, स्किल्स डेवलपमेंट उद्योग आदि के कार्य कर सकते हैं। इंटर्नशिप के लिए सकारात्मक होना चाहिए सीखने की अभिरुचि होनी चाहिए तथा जो भी सीखे वह पूरी तरह मनोयोग से सीखे जब हम इन तीनों बातों का ध्यान रखेंगे तो हमें रोजगार स्वयं ही मिलेगा।
इंटर्नशिप संक्षिप्त और स्पष्ट होनी चाहिए लेकिन भी संक्षिप्त रखना चाहिए जो जरूरी ना हो ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए कवर पेज स्पष्ट होना चाहिए विषय सूची को भी शामिल करना चाहिए जिससे विशेष पृष्ठ पर पढ़ने में मदद मिलती है। प्रशिक्षण रिपोर्ट का परिचय स्पष्ट और संक्षिप्त होना चाहिए। कार्यशाला के द्वितीय सत्र में तृतीय विशिष्ट वक्ता एपी सेन मेमोरियल गर्ल्स पीजी कॉलेज लखनऊ की अर्थशास्त्र विभाग की सहायक आचार्य डॉक्टर मोनिका अवस्थी रहीं। उन्होंने अपने उद्बोधन में माइनर प्रोजेक्ट को कैसे बनाया जाए इस बात पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि लघु शोध प्रबंध किसी प्रोजेक्ट का लिखित और व्यवस्थित विवरण होता है इसमें शोध की कहानी बताई जाती है जैसे कि इसे क्यों किया गया कैसे किया गया क्या मिला और इसका क्या मतलब है। इस कार्यशाला में विभिन्न महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने तथा उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय से सम्बद्ध छात्राओं ने भी प्रतिभागिता किया।
कार्यशाला के समापन अवसर पर धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय द्वारा किया गया प्राचार्या ने कहा कि इस तरह की कार्यशाला से छात्र-छात्राओं की जिज्ञासाओं का समाधान होता है जिससे उनको टर्म पेपर और इंटर्नशिप तथा माइनर प्रोजेक्ट बनाने में बहुत ही सहायता मिलती है।
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्रोफेसर संगीता शुक्ला, प्रोफेसर ऋचा शुक्ला प्रोफेसर सीमा सरकार, प्रोफेसर शर्मिता नंदी प्रोफेसर संगीता कोतवाल, डॉ गीताली रस्तोगी, डॉ वंदना द्विवेदी, नीलम यादव, सुश्री दीक्षा डॉ विनीता सिंह, सभी सम्मानित प्रवक्तागण तथा समस्त छात्राएं आदि उपस्थित रहीं।