नई दिल्ली। भाजपा ने पेगासस जासूसी मामले में कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा है कि कांग्रेस के सरकार पर लगाये गए आरोप आधारहीन है और यह देश विरोधी एजेंडा चलाने वालों की साजिश है। सोमवार को यहाँ भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मैं कांग्रेस से सवाल पूछना चाहता हूं कि जासूसी कांड का मुद्दा संसद के मानसून सत्र के पहले क्यों खड़ा किया गया?” उन्होंने कहा कि देश में फोन टैपिंग को लेकर सशक्त कानून हैं। इन प्रक्रियाओं का पालन करते हुए टैपिंग हो सकती है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, “फोन टैपिंग के नाम पर जानबूझ कर सदन में बाधा डालने और बेबुनियाद एजेंडा खड़ा करने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस पार्टी ने इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा किया था जिसमें कहा गया कि व्हाट्सएप को पेगासस से हैक करवाया जा रहा है। जबकि ऐसा हो ही नहीं सकता। खुद वॉहाट्सएप ने भी सर्वोच्च न्यायालय में यह बात कही।” उन्होंने कहा कि भारत में मजबूत कानूनी ढांचा है। जो लोग सरकार पर फोन सर्विलांस के आरोप लगा रहे हैं, वे भी विश्वास के साथ सबूत नहीं दे पा रहे हैं। ऐसा लगता है कि दुनिया में उभर रहे भारत के खिलाफ एक माहौल बनाने की कोशिश हो रही है। देश में जिस तेजी के साथ वैक्सीनेशन बढ़ रहा है। उससे कुछ लोगों को परेशानी हो रही है कि भारत ऐसे कैसे कर पा रह है। कई लोगों को इस बात से भी परेशानी है कि देश में सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हो रहा है।
रविशंकर ने कांग्रेस से सवाल पूछा, “कांग्रेस शासन में वित्त मंत्री रहे प्रणव मुखर्जी ने उस वक्त के गृह मंत्री चिदम्बरम के खिलाफ जासूसी का आरोप लगाया था। उस बारे में कांग्रेस का क्या कहना है। वर्ष 2013 में हजारों लोगों के फोन टैप होते थे। उसके बारे में कांग्रेस क्या कहती है। कांग्रेस का तो इतिहास ही जासूसी करवाने का रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी का स्तर ऐसा हो गया है कि क्या कहना। वह सरकार से उरी सर्जिकल स्ट्राइक पर हमारे जवानों की बहादुरी का सबूत मांगती है। गलवान पर जो अब तक कहती रही है, वह सबके सामने है।
इससे पहले आज कांग्रेस ने कई प्रमुख व्यक्तियों एवं पत्रकारों के कथित तौर पर फोन टैप किए जाने के मामले में स्वतंत्र जांच की मांग की। उल्लेखनीय है कि दुनियाभर के कई मीडिया संस्थानों की ओर से रविवार को एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत समेत कई देशों की सरकारों ने 150 से ज्यादा पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी कराई। इसके लिए इजरायल के एनएसओ समूह के ‘पेगासस’ स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कम से कम 38 लोगों की निगरानी की गई। भारत सरकार ने हालांकि इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।