वैश्विक आपूर्ति में कमी के कारण रूसी कंपनियों ने भारत को रियायती कीमतों पर डाय-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) जैसे उर्वरक देना बंद कर दिए हैं. इससे भारत की आयात लागत और सब्सिडी का बोझ बढ़ सकता है.
रूसी कंपनियां अभी तक 80 डॉलर प्रति टन तक की छूट पर डीएपी उपलब्ध करा रही थीं, हालांकि, अब वे 5 डॉलर की भी छूट नहीं दे रही हैं.
मुंबई स्थित एक उर्वरक कंपनी के एक अधिकारी का कहना है कि पिछले दो महीनों में वैश्विक उर्वरक की कीमतें बढ़ रही हैं, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए सर्दियों के मौसम के लिए स्टॉक जमा करना मुश्किल हो गया है. खासतौर पर गेहूं की फसल के लिए डीएपी की मांग बढ़ती है, ऐसे में इसकी पूर्ति के लिए अतिरिक्त जोर पड़ेगा.
एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त में रूसी कंपनियों की ओर से बाजार कीमतों पर उर्वरकों की पेशकश करने से वैश्विक कीमतों में तेजी आई है. रूसी उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, रूसी डीएपी की मौजूदा कीमत भारतीय खरीदारों के लिए लागत और माल ढुलाई (CFR) के आधार पर लगभग 570 डॉलर प्रति टन है. दूसरे एशियाई खरीदारों के लिए भी यही कीमत तय की गई है.
इस बारे में यहां के जानकारों का कहना है कि जुलाई में, वैश्विक आपूर्तिकर्ता 300 डॉलर प्रति टन पर यूरिया दे रहे थे, लेकिन अब 400 डॉलर प्रति टन की कीमत लगा रहे हैं, वहीं जुलाई में डीएपी की कीमतें करीब 440 डॉलर प्रति टन थी. अब इसमें और इजाफा हो गया है. जबकि पिछले साल 31 मई को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के आंकड़े पर नजर डालें तो रूस से भारत का उर्वरक आयात 246% बढ़कर रिकॉर्ड 4.35 मिलियन मीट्रिक टन हो गया था क्योंकि उस वक्त आपूर्तिकर्ता डीएपी, यूरिया और एनपीके उर्वरकों पर छूट दे रहे थे.