लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेन्द्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि एक बार फिर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने महात्मा गांधी का नाम गलत मंशा के साथ हिन्दुत्व से जोड़ने का प्रयास किया है, जो निंदनीय है। संघ प्रमुख का यहना सर्वथा असत्य है कि गांधी जी की देशभक्ति धर्म से निकलती थी। जबकि वास्तव में गांधी जी का धर्म मानव धर्म था और गांधी जी सत्य और अहिंसा के साथ साथ मानवता के सच्चे पुजारी थे और उनका धर्म मानव समाज की सेवा से निकलता है।उनकी दृष्टि में किसी जाति विशेष अथवा धर्म विशेष का कोई महत्व नहीं था वह इन सबके घोर विरोधी थे।
श्री त्रिवेदी ने कहा कि संघ के माध्यम से एक बार फिर साम्प्रदायिक भावना भड़काने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम का अनुचित प्रयोग किया जा रहा है। संघ में जहां एक तरफ नाथूराम गोडसे की पूजा की जाती है और उनका मन्दिर बनाने की बात की जाती है। वहीं पर गांधी जी के दर्शन और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाकर करोड़ों गांधीवादी लोगो को आघात पहुंचाया जाता है।
उन्होंने कहा कि शहीद कैप्टन वीर अब्दुल हमीद, अशफाक उल्ला खान, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सर सैय्यद अहमद खां जैसे लोगो की राष्ट्रभक्ति और त्याग तथा बलिदान को कोई भी भारतवासी कैसे भुला सकता है। अतः संघ प्रमुख का यह कहना कि हिन्दू होना ही राष्ट्रभक्ति का प्रमाण है, स्वयं में हास्यास्पद एवं साम्प्रदायिक साजिश की कूट रचना करने वाला बयान है।
रालोद प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि हमारा देश विभिन्न जातियों, धर्मो और साम्प्रदायों के साथ अनेक भाषाओं, बोलियों एवं रहन सहन की विविधताओं का गुलदस्ता है और भारत की गंगा जमुनी तहजीब को विष्व प्रसिद्धि मिली हुयी है। भारत को स्वतंत्रता दिलाने में सभी वर्गों का महत्व है यद्यपि इस बात के बहुत से प्रमाण है कि स्वतंत्रता संग्राम के समय बहुत से हिन्दुओं ने अंग्रेजों के साथ सहयोग भी किया था और उनसे माफी भी मांगी थी जो राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि देश वासियों को संघ की इस प्रकार की साम्प्रदायिक साजिश से सचेत रहने की आवश्यकता है ताकि भारत की एकता और अखण्डता को किसी भी प्रकार की क्षति न पहुंचे।