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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- प्रदर्शन किसानों का हक, लेकिन रास्ता बंद नहीं कर सकते

किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई जारी है. देश की सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को दूसरे दिन सुनवाई करते हुए कहा कि मामले के निपटारे के लिए समिति का गठन किया जा सकता है. इसमें दोनों पक्ष अपनी अपनी बात रख सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही कहा कि किसानों को प्रदर्शन से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन साथ ही पंजाब सरकार का पक्ष रख रहे पी. चिदंबरम से सवाल भी किया कि अगर किसान हिंसक रूप ले लेता है तो इसका जिम्मेदार किसे माना जाएगा.

किसान हिंसा को बढ़ावा नहीं दे सकते. न ही किसी शहर को ब्लॉक कर सकते हैं. दिल्ली को जाम करने से लोगों को भूखा रहना पड़ सकता है. आपका मकसद बातचीत से पूरा हो सकता है, सिर्फ धरने पर बैठने से काम नहीं चलेगा.

सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को तुरंत हटाने की मांग की गई है.

इनमें कहा गया है कि इन किसानों ने दिल्ली-एनसीआर की सीमाएं अवरूद्ध कर रखी हैं, जिसकी वजह से आने जाने वालों को बहुत परेशानी हो रही है और इतने बड़े जमावड़े की वजह से कोविड-19 के मामलों में वृद्धि का भी खतरा उत्पन्न हो रहा है.

न्यायालय ने इन याचिकाओं पर केंद्र और अन्य को भी नोटिस जारी किए हैं.

उत्तर प्रदेश की 18 खाप पंचायतों ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है. ये खापें आज दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन में शामिल होकर महापंचायत करेंगी. महापंचायत को लेकर खुफिया विभाग अलर्ट है.

बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत ने कहा है कि अब तक दिल्ली में 26 जनवरी को नकली झांकियां निकाली जाती थीं, लेकिन इस बार किसानों की असली झांकी भी परेड में शामिल होगी. अगर सरकार कृषि कानून वापस नहीं लेती तो आने वाले चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान होगा.

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