ये कैसे समाज में जी रहे है हम जब भी सोचते है हमारे आस-पास हो रही घटनाओं के बारे में तब आहत होते मन चित्कार कर उठता है। आख़िर कब तक? कहाँ जाकर रुकेगी ये दिल को झकझोरने वाली आँधियाँ। इंसानी दिमाग साज़िशो की फ़ैक्ट्री होता जा रहा है। एक ...
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