कुछ साल पहले तक उत्तराखंड के जिन गांवों की किशोरियां 8वीं या बहुत ज्यादा 10वीं तक ही पढ़ा करती थी. जिन्हें लगता था कि वह पढ़ाई करके भी क्या कर सकती हैं? आज उसी गांव की लड़कियां न केवल 10वीं से आगे कॉलेज की पढ़ाई कर रही हैं बल्कि हर ...
Read More »Tag Archives: सामाजिक कार्यकर्ता नीलम ग्रैंडी
मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता है जरूरी
मासिक धर्म (menstruation) की शुरुआत का अर्थ है किशोरियों के जीवन का एक नया चरण. हालांकि यह पूरी तरह से प्राकृतिक प्रक्रिया है. लेकिन इसके बावजूद देश के कुछ ऐसे इलाके हैं जहां जागरूकता के अभाव में इसे बुरा और अपवित्र समझा जाता है. इस दौरान किशोरियों को कलंक, उत्पीड़न ...
Read More »लैंगिक असमानता झेलती किशोरियां
प्रत्येक बच्चे का अधिकार है कि उसे उसकी क्षमता के विकास का पूरा मौका मिले. लेकिन समाज में लैंगिक असमानता (gender inequality) की फैली कुरीतियों की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाता है. भारत में लड़कियों और लड़कों के बीच न केवल उनके घरों और समुदायों में, बल्कि हर ...
Read More »माहवारी पर संकुचित सोच से आज़ाद नहीं हुआ ग्रामीण समाज
हम भले ही आधुनिक समाज की बात करते हैं, नई नई तकनीकों के आविष्कार की बातें करते हैं, लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि महिलाओं के प्रति आज भी समाज का नजरिया बहुत ही संकुचित है. बराबरी का अधिकार देने की बात तो दूर, उसे अपनी आवाज उठाने ...
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