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घर के गार्डन में किये गए ये बदलाव बदल सकते है आपकी किस्मत, बस इन बातो का रखना होगा ध्यान

अगर हर कोई अपने घर व उसके आस-पास के वातावरण को वास्तु के हिसाब से ढाल ले तो उसके जीवन में तरक्की मिलना आसान हो जाता है। वास्तु विज्ञान में हर नियम और लॉजिक के साथ साइंटिफिक या व्यवहारिक तथ्यों का आधार है। वास्तु में कमरों से लेकर किचन तक और बरामदे से लेकर गार्डन तक को लेकर कुछ नियम दिए गए हैं। इन नियमों के मुताबिक अगर घर में कुछ बदलाव या शुरुआत की जाती है तो उसका सकारात्मक प्रभाव घर और घर में रहने वालों पर होता है। वहीं अगर आप अपने घर के गार्डन में कुछ बदलाव कर लें तो आपकी किस्मत बदल सकती है।


वास्तु के हिसाब से गार्डन हमेशा घर के उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। इसे सामान्य भाषा में कहा जाए तो ये दिशा गार्डन के लिए शुभ मानी गई है लेकिन इसके पीछे का सांटिफिक कारण ये है कि अगर गार्डन घर के पूर्व या दक्षिण भाग में होता है तो यहां पौधों के अधिक फलने की संभावना होती है। पूर्व दिशा में होने वाला गार्डन में पौधों पर सुबह की हल्की धूप पड़ती है, दोपहर तक सूर्य घर की पीछे की ओर आ जाता है। पौधों पर धूप कम पड़ती है। इससे पौधों के तेज धूप में जलने की आशंका नहीं होती।

वाटरफॉल
आमतौर पर लोग खूबसूरती के लिए वॉटर फाउंटेन गार्डन के बीच में ही लगाते हैं, जबकि वास्तु के मुताबिक यह पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। इसका कारण है कि आमतौर पर हवा दो ही तरह की सबसे अधिक होती है पूर्वी हवा और उत्तरी हवा। इन दोनों दिशाओं से हवा का बहाव होने के कारण पौधों को उस वाटरफॉल के पानी की नमी हवा के जरिए मिल सकती है।

पौधे
पौधों का चुनाव करते समय गार्डन के साइज का हमेशा ध्यान रखें। 2-3 फीट लंबे वाले पौधे ही लगाएं। ऐसा इस कारण कि छोटे पौधे जगह कम लेते हैं, साथ ही वे कभी घर में आने वाली हवा और रोशनी के लिए परेशानी नहीं बनेंगे। बड़े पौधों से घर में ताजी हवा और सूर्य की रोशनी दोनों आने में दिक्कत होगी।

बच्चों के लिए जगह
गार्डन में बच्चों का एरिया हमेशा उत्तर-पूर्वी दिशा में ही होना चाहिए। इस दिशा का सकारात्मक ऊर्जा और भगवान की दिशा मानी गई है। यहां बच्चे खेलते हैं तो उनका मानसिक विकास अन्य स्थानों की अपेक्षा ज्यादा होता है।

डेकोरेशन स्टैचू
आमतौर पर लोग गार्डन को सजाने के लिए उसके बीचों-बीच स्टोन्स या स्टैच्यू लगाकार डेकोरेट करते हैं। जबकि इस तरह का डेकोरेशन दक्षिण या पश्चिमी दिशा में होना चाहिए। इसका व्यवहारिक पक्ष यह भी है कि कोई भी डेकोरेटिव पीस बगीचे के बीच में होगा तो आप कभी उस गार्डन का पूरा उपयोग नहीं कर पाएंगे।

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