चैप्टर 2′ और ‘आरआरआर’ जैसी एक्शन ड्रामा फिल्म के दौर में सिनेमाघरों में शाहिद कपूर की रोमांटिक ड्रामा फिल्म रिलीज हुई है।
एक तरफ जहां यश, राम चरण और जूनियर एनटीआर इन फिल्मों में ‘लार्जर देन लाइफ’ हीरो के रूप में नजर आ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ शाहिद कपूर अपनी फिल्म के जरिए हर एक इंसान के खुद से जूझने की कहानी को बता रहे हैं।
एक अभिनेता के तौर पर यह बहुत जरूरी होता है कि आप अपने किरदार को समझों। मैं अपने किरदार को जीवंत करने के लिए सेट पर मौजूद दिग्गज कलाकारों से बात करती हूं। उनके मन में मेरे किरदार की क्या छवि है, उसको समझने की कोशिश करती हूं। फिल्म ‘जर्सी’ की शूटिंग के दौरान भी मैंने कई लोगों से बात की थी। इस फिल्म में मैं एक मां का किरदार भी निभा रही हूं।
इसलिए मैं अक्सर अपनी मां के साथ समय बिताती थी और उनसे यह समझने की कोशिश करती थी कि 90 के दशक में मां का मतलब क्या होता था? करियर से समझौता कर अपने बच्चों को पालने का मतलब क्या होता था? कैसे परिवर की खुशियों में अपनी हिस्सेदारी देते थे? आदि। हर किसी से अनोखे जवाब मिलते थे और मैं उन्हें एक्टिंग के दौरान इस्तेमाल करने की कोशिश करती थी।
अभिनय की दुनिया में आगे बढ़ते वक्त मैंने दिवंगत अभिनेता इरफान खान को फॉलो किया था। उन्होंने कई बार फिल्मों में छोटा-सा रोल करके भी बड़ा प्रभाव डाला था। तीन घंटे की फिल्म में 2 मिनट का स्क्रीन टाइम मिलने के बावजूद उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया है।