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हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के जरिए खोजे जाएंगे क्षय रोगी

  • जिले में 23 अगस्त से अभियान शुरू, 30 सितम्बर तक चलेगा अभियान

कानपुर। देश को वर्ष 2025 तक क्षय (टीबी) रोग मुक्त बनाने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत हैं। इसी क्रम में 23 अगस्त से 30 सितंबर तक राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत क्षय रोगियों को चिन्हित करने के लिए विशेष अभियान शुरू हो रहा है। इस दौरान जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर की टीम के जरिए टीबी रोगी खोजे जाएंगे।

जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डाॅ. एपी मिश्रा ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2022 में जिले के कुल 22000 संभावित मरीजों को चिन्हित करने का लक्ष्य तय है। इसमें से 26 जुलाई तक लगभग 50 प्रतिशत मरीज़ चिन्हित हो चुके हैं। शेष को चिन्हित करने के लिए जिले समस्त हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के जरिए संभावित क्षय रोगियों के बलगम की जांच लक्षित है।

डीटीओ ने यह भी बताया कि इन सेंटर्स पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) क्षय रोगियों के चिन्हीकरण, जांच, इलाज, निक्षय पोषण योजना के तहत लाभ दिलाने में सहयोग देंगे। क्षय रोग के संभावित लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर उनके बलगम के नमूने एकत्रित करेंगी। इसके बाद सीएचओ संकलित नमूने को नजदीकी जांच केंद्र में भेजेंगे। जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर मरीज का निक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कर इलाज शुरू किया जाएगा।

उन्होंने यह भी बताया कि जो क्षेत्र हेल्थ एंड वेलनेस सेन्टर के कार्यक्षेत्र से बाहर हैं उक्त क्षेत्र में क्षय रोगियों के घर पर आशा कार्यकर्ता द्वारा भ्रमण कर उन्हें नियमित दवाओं का सेवन करने, छह माह तक लगातार इलाज करने एवं दवा के सेवन से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में परामर्श देंगी। सीएचओ की ओर से अपने क्षेत्र में तीन उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का चयन किया जाएगा जहां सभी गतिविधियां प्राथमिकता के आधार पर की जाएंगी।

यह प्राथमिकता वाले क्षेत्र होंगे – हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से दूरस्थ क्षेत्र, कोरोना से ज्यादा प्रभावित क्षेत्र और ऐसे क्षेत्र जहां विगत दो सालों में अधिक क्षय रोगी या कोविड रोगी चिन्हित हुए हों। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के क्षेत्र में स्थित विद्यालयों में से प्रति सप्ताह एक विद्यालय में क्षय रोग पर गोष्ठी या पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन कर छात्रों को क्षय रोग के बारे में जागरूक किया जाए।

टीबी से बचने को करें मास्क का प्रयोग – जिला क्षयरोग कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने बताया कि टीबी की बीमारी जीवाणु से होती है। यह अधिकतर फेफड़ों को प्रभावित करती है। हालांकि टीबी शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है। यह हवा के जरिए एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है। इसलिए टीबी के मरीज को खुले स्थान पर रखने की सलाह दी जाती है। बंद स्थान पर यदि टीबी रोगी के संपर्क में कोई व्यक्ति आए तो वह मास्क का प्रयोग करे। एक क्षय रोगी यदि मास्क का प्रयोग करता है तो वह 10 से 12 लोगों को संक्रमण से बचा सकता है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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